नई दिल्ली: सावन मास की शिवरात्रि आज (30 जुलाई) को मनाई जा रही है. सावन मास के कृष्ण पक्ष में मंगलवार के दिन पड़ने वाली शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है. वह भगवान शिव के लिए सिरोधार्य शिवरात्रि होती है. बाबा भोलेनाथ के भक्त बाबा की भक्ति में रंगे हुए हैं. सुबह से ही मंदिरों में शिवभक्तों का तांता लगा हुआ है.  


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देवाधिदेव की आराधना के लिए शिवालयों में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. सुबह से ही श्रद्धालुओं लंबी कतारे शिव मंदिरों के बाहर देखी जा रही है. कांवड़िये भोले बाबा को प्रसन्न करने के लिए हरिद्वार से गंगाजल लेकर पैदल यात्रा करते हुए दिल्ली समेत आस-पास के इलाकों में वापस लौट रहे हैं और बाबा बोले नाथ को अर्पित कर रहे हैं. सावन के पवित्र महीने में कांवड़िये हर साल हरिद्वार और गंगोत्री से गंगाजल लेकर शिवलिंग या ज्योतिर्लिंग पर चढ़ाते हैं.


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आपको बता दें कि केसरिया रंग के वस्त्र पहने कांवड़िया दिन-रात भोले बाबा का नाम लेते हुए चलते हैं और कई किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद शिवलिंग पर जल चढ़ाते हैं. केसरिया वस्त्र धारण करने की वजह यह बताई जाती है कि इससे कांवड़ियों को ऊर्जा मिलती है.


ऐसी मान्यता है कि कांवड़ के जल से भगवान शिव का जलाभिषेक करने से सारी परेशानियों का निवारण हो जाता है. बाबा भोलेनाथ अपने भक्तों को दुखी नहीं देख सकते. इसलिए उनकी तमाम मनोकामनाएं पूरी करते हैं. ऐसा कहा जाता है कि सच्ची श्रद्धा से किसी पवित्र नदी से जल भरकर शिवलिंग पर जल अर्पित करने वाले से बाबा प्रसन्न होते हैं.