Shardiya Navratri 2024 Day 8: नवरात्रि की महाअष्टमी पर करें मां महागौरी की पूजा, जानें पूजा विधि, मंत्र, आरती और खास भोग
Maha Ashtami 2024: शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी को समर्पित होता है. महागौरी की पूजा करने से दांपत्य सुख, व्यापार, धन और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है.
Shardiya Navratri 2024 Maha Ashtami: शारदीय नवरात्रि का आठवां दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप मां महागौरी को समर्पित होता है. महागौरी की पूजा करने से दांपत्य सुख, व्यापार, धन और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है. धार्मिक मान्यता है कि माता रानी भक्तों के कष्ट जल्दी ही दूर कर देती हैं. ये भी कहा जाता है कि इनकी उपासना से असंभव कार्य भी संभव हो जाते हैं.
कब है शारदीय नवरात्रि की अष्टमी और नवमी तिथि?
हिन्दू पंचांग के अनुसार शारदीय नवरात्रि की अष्टमी तिथि की शुरुआत 10 अक्टूबर को दोपहर 12 बजकर 31 मिनट पर हो रही है. वहीं, इसका समापन 11 अक्टूबर को सुबह 12 बजकर 05 मिनट पर होगा. इसके तुरंत बाद ही नवमी तिथि की शुरुआत हो जाएगी. उदयातिथि के चलते अष्टमी और नवमी का व्रत 11 तारीख को रखा जाएगा.
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महाअष्टमी पूजा विधि
- अष्टमी तिथि के दिन सुबह उठकर स्नान करें और साथ-सुथरे कपड़े धारण कर लें.
- मां को जल, फूल, धूप, दीप, नैवेद्य, चंदन, कुमकुम, रोली आदि अर्पित करें.
- धूप-दीप जलाकर माता रानी की विधि विधान से पूजा करें.
- माता रानी की आरती, चालीसा, मंत्रों का पाठ करें.
मां महागौरी का भोग
देवीभागवत पुराण के अनुसार मां महागौरी को नारियल का भोग लगाना शुभ माना जाता है.
महागौरी का मंत्र
सर्वमंगल मंग्ल्ये, शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्र्यम्बके गौरि नारायणि नमोस्तुते।।
वंदना मंत्र
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः।
महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
महागौरी की स्तोत्र पाठ
सर्वसंकट हंत्री त्वंहि धन ऐश्वर्य प्रदायनीम्।
ज्ञानदा चतुर्वेदमयी महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
सुख शान्तिदात्री धन धान्य प्रदीयनीम्।
डमरूवाद्य प्रिया अद्या महागौरी प्रणमाभ्यहम्॥
त्रैलोक्यमंगल त्वंहि तापत्रय हारिणीम्।
वददं चैतन्यमयी महागौरी प्रणमाम्यहम्॥
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करें महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया ।
जय उमा भवानी जय महामाया ॥
हरिद्वार कनखल के पासा ।
महागौरी तेरा वहा निवास ॥
चंदेर्काली और ममता अम्बे
जय शक्ति जय जय मां जगदम्बे ॥
भीमा देवी विमला माता
कोशकी देवी जग विखियाता ॥
हिमाचल के घर गोरी रूप तेरा
महाकाली दुर्गा है स्वरूप तेरा ॥
सती ‘सत’ हवं कुंड मै था जलाया
उसी धुएं ने रूप काली बनाया ॥
बना धर्म सिंह जो सवारी मै आया
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ॥
तभी मां ने महागौरी नाम पाया
शरण आने वाले का संकट मिटाया ॥
निवार को तेरी पूजा जो करता
माँ बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ॥
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो
महागौरी माँ तेरी हरदम ही जय हो ॥
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