Sheetala ashtami 2023: जो लोग शीतला माता की सच्चे मन से पूजा करते हैं उनके घर में संतान की किलकारियां गूंजने लगती हैं. वह अपने भक्तों को संतानवान ही नहीं बनाती है बल्कि संतान को रोगमुक्त और स्वस्थ रहने का वरदान भी देती हैं.
Trending Photos
Sheetala Ashtami Importance: हिंदू धर्म में तैतीस करोड़ देवी- देवता हैं जो बहुत ही पूजनीय हैं धर्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसी ही देवी हैं माता शीतला. ऐसा कहा जाता है जो कि जो लोग शीतला माता की सच्चे मन से पूजा करते हैं उनके घर में संतान की किलकारियां गूंजने लगती हैं. वह अपने भक्तों को संतानवान ही नहीं बनाती है बल्कि संतान को रोगमुक्त और स्वस्थ रहने का वरदान भी देती हैं.
माघ मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को उनका पूजन किया जाता है, इसलिए इसे शीतला षष्ठी भी कहते हैं. इस बार यह 27 जनवरी दिन शुक्रवार को पड़ रही है. कुछ स्थानों पर इस पर्व को बसि चौरा भी कहा जाता है. इस दिन प्रातः काल स्नानादि दैनिक क्रियाओं से निवृत्त होने के बाद शीतला देवी का षोडशोपचार पूर्वक पूजन करना चाहिए.सइस दिन देवी को बासी भोजन का भोग लगाने के बाद फिर वही भोजन घर के लोग भी ग्रहण करते हैं.
शीतला माता की पौराणिक कथा (Mythology story)
एक ब्राह्मण के सात पुत्र थे, सबका विवाह काफी समय पहले हो गया था किंतु किसी के भी संतान नहीं थी. एक दिन उधर से एक वृद्धा गुजरीं और उन्होंने ब्राह्मणी की बात सुन शीतला षष्ठी व्रत करने का सुझाव देते हुए विधि विधान बताया. बहुओं के व्रत करने के बाद एक वर्ष के भीतर ही उन सबने पुत्र को जन्म दिया.
एक बार ब्राह्मणी ने व्रत की उपेक्षा कर दी तो उसी रात ब्राह्मणी ने स्वप्न अपने पुत्रों को मृत देखा तो भयभीत हो जाग गई और पति को जगाया किंतु पति तो मृत हो चुका था. शोर मचाया तो पता लगा सातो पुत्र और पुत्रवधूएं भी मर चुके थे. सबका रो रोकर बुरा हाल था, शोर सुन कर पड़ोसी आए तो बोले सब शीतला देवी का प्रकोप है. ब्राह्मणी दुखी होकर जलने लगी तो जंगल की ओर चली गई जहां पर एक बुढ़िया मिली और उसके पूछने पर पूरी बात बताई. वास्तव में वह शीतला माता ही थीं.
उन्होंने ब्राह्मणी से बदन में दही का लेप लगाने को कहा जिससे उसकी जलन कम हुई. ब्राह्मणी को समझने में देर न लगी और उसने उनके पैरों पर गिरकर क्षमा मांगी और परिवार को जीवनदान देने की प्रार्थना की. उन्होंने मृतकों के शरीर पर दही लगाने को कहा, दही लगाते ही चमत्कार हो गया और सातों पुत्र, पुत्रवधूएं तथा पति जी उठे.
अपनी फ्री कुंडली पाने के लिए यहां क्लिक करें
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)