आषाढ़ महीने की Sankashti Chaturthi पर बन रहा है खास संयोग, जानें मुहूर्त और Vrat-Pujan विधि
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आषाढ़ महीने की Sankashti Chaturthi पर बन रहा है खास संयोग, जानें मुहूर्त और Vrat-Pujan विधि

भगवान गणेश को समर्पित संकष्टी चतुर्थी व्रत इस बार रविवार को है. इस दिन व्रत-पूजन करना यह उन लोगों के लिए बहुत लाभदायी साबित हो सकता है, जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर है. 

(फाइल फोटो)

नई दिल्‍ली: संकष्टी गणेश चतुर्थी हर महीने आती है. हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी कहते हैं. संकष्टी चतुर्थी (Sankashti Chaturthi) का व्रत (Vrat) सूर्योदय से शुरू होता है और चंद्रमा के उदित होने के बाद उसे अर्ध्‍य देकर खोला जाता है. इस बार यह व्रत 27 जून, रविवार को है. यह तिथि रविवार के दिन पड़ने के कारण इस दिन रविवती संकष्टी चतुर्थी का संयोग बन रहा है. ऐसे में जिन लोगों की कुंडली में सूर्य कमजोर है, उनके लिए रविवती संकष्टी चतुर्थी का व्रत करना बहुत लाभदायक सिद्ध हो सकता है. 

  1. संकष्टी चतुर्थी पर बन रहा खास संयोग 
  2. 27 जून को है आषाढ़ महीने के कृष्‍ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी 
  3. कहलाती है कृष्ण पिंगला संकष्टी चतुर्थी  

रविवती संकष्टी चतुर्थी का शुभ मुहूर्त 

आषाढ़ महीने की संकष्टी चतुर्थी रविवार, 27 जून 2021 को शाम 3.54 मिनट से सोमवार, 28 जून 2.16 मिनट तक रहेगी. संकष्टी चतुर्थी व्रत 27 जून को रखा जाएगा. चंद्रोदय रात 09.05 मिनट पर होगा. 

सारे संकट दूर करते हैं गण‍पति 

चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी (Lord Ganesh) हैं. संकष्टी चतुर्थी के दिन भगवान गणेश पूजन करते हैं और चंद्रमा को जल अर्पित करते हैं, इसके बाद ही यह व्रत पूरा माना जाता है. मान्‍यता है कि संकष्टी चतुर्थी व्रत रखने से व्यक्ति के सभी संकट मिट जाते हैं और उसके जीवन में धन, सुख-समृद्धि आती है. 

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ऐसे करें व्रत-पूजन 

इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्‍नान करके सूर्य को जल चढ़ाएं. इस दौरान ॐ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करें. फिर पूजा स्‍थल को साफ करके गणेश प्रतिमा को जल और शहद से स्‍नान कराएं. व्रत का संकल्‍प लें. धूप-दीप जलाएं. गणपति को सिंदूर, दूर्वा, फूल, चावल, फल, जनेऊ, प्रसाद आदि अर्पित करें. ॐ गं गणपते नमः मंत्र का 108 बार जाप करें. परिवार सहित गणेश जी आरती करें. उनके चरणों में फूल चढ़ाएं और भगवान को प्रणाम करें. 

व्रत के दौरान पूरे दिन अन्न ग्रहण न करें. फलाहार, पानी, दूध, फलों का रस आदि ले सकते हैं. रात को चंद्रमा की पूजा और दर्शन करने के बाद ही व्रत खोलें. 

(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)

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