नई दिल्ली: संकट मोचन हनुमान जी (Lord Hanuman) के देशभर में ऐसे कई मंदिर हैं जो अलग-अलग कारणों से प्रसिद्ध हैं और बिल्कुल अनोखे भी हैं. किसी मंदिर (Hanuman Temple) में हनुमान जी की लेटी हुई प्रतिमा है तो किसी मंदिर में हनुमान जी की उल्टी खड़ी प्रतिमा स्थापित है. राजस्थान के बालाजी हनुमान मंदिर (Balaji Hanuman) में तो बजरंगबली की कोई मूर्ति है ही नहीं. यहां सिर्फ एक बड़ी सी चट्टान है जिसमें हनुमान जी की आकृति उभरी हुई है और इसे ही हनुमान जी का स्वरूप माना जाता है. लेकिन आज हम आपको हनुमान जी के एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बारे में शायद ही आपने पहले कभी सुना हो.


नारी स्वरूप में है हनुमान जी की प्रतिमा


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हम बात कर रहे हैं एक ऐसे हनुमान मंदिर की जहां पर हनुमान जी पुरुष नहीं बल्कि स्त्री के रूप में पूजे जाते हैं (Lord Hanuman being worshipped as Woman). हनुमान जी का यह मंदिर छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध शहर बिलासपुर से 25 किलोमीटर दूर रतनपुर (Ratanpur) नामक स्थान पर स्थित है. मंदिर का नाम गिरजाबंध हनुमान मंदिर है. यह दुनिया का एक मात्र ऐसा अनोखा मंदिर है जहां हनुमान जी की प्रतिमा नारी के स्वरूप में है और यहां पर स्त्री रूप में हनुमान जी की पूजा होती है. ऐसी मान्यता है कि नारी रूप वाले हनुमान जी की यह प्रतिमा 10 हजार साल पुरानी है. 


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भक्तों की हर मनोकामना होती है पूरी


इस मंदिर के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यहां से कोई भक्त खाली हाथ या निराश नहीं लौटता. जो भी भक्त पूरी श्रद्धा और आस्था से हनुमान जी के इस अनोखे स्वरूप के दर्शन करता है उसकी हर मनोकामना पूरी होती है. हनुमान जी की यह प्रतिमा दक्षिणमुखी है और इसमें हनुमान जी के कंधों पर भगवान राम और लक्ष्मण को बैठे हुए दिखाया गया है.


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मंदिर से जुड़ी पौराणिक कथा


इस मंदिर से जुड़ी कथा के बारे में बताया जाता है कि, प्राचीन काल में रतनपुर के राजा पृथ्वी देवजू हनुमान जी के भक्त थे. एक बार राजा को कुष्ठ रोग हो गया जिसकी वजह से वे जीवन से निराश हो गए. एक रात हनुमान जी राजा के सपने में आए और मंदिर बनवाने के लिए कहा. मंदिर निर्माण का काम जब पूरा हो गया तब हनुमान जी फिर से राजा के सपने में आए और अपनी प्रतिमा को महामाया कुंड से निकालकर मंदिर में स्थापित करने का आदेश दिया. हनुमान जी द्वारा बताये स्थान से राजा ने प्रतिमा को लाकर मंदिर में स्थापित कर दिया. वह प्रतिमा स्त्री स्वरूप में थी और मंदिर निर्माण के बाद राजा का रोग भी दूर हो गया.


(नोट: इस लेख में दी गई सूचनाएं सामान्य जानकारी और मान्यताओं पर आधारित हैं. Zee News इनकी पुष्टि नहीं करता है.)


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