Vrat ke Niyam: हिंदू धर्म शास्त्रों में व्रत उपवास का बहुत ही अधिक महत्व है. व्रत के प्रभाव से मनुष्यों की शारीरिक, मानसिक एवं आत्मा शुद्ध होती है, उनमें संकल्प शक्ति बढ़ती है. इसके अलावा बुद्धि का विकास होने के साथ ही वैचारिक परिपक्वता और चतुराई या ज्ञान तंतु विकसित होते हैं. जीवन को सफल करने के कार्यों में व्रत की बड़ी महिमा मानी गई है. 


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महर्षियों के अनुसार व्रत और उपवास के नियम पालन से शरीर को तपाना ही तप है. व्रत अनेकों हैं और अनेक व्रत के प्रकार भी अनेक है. वास्तव में व्रत और उपवास दोनों एक है अंतर यह है की व्रत में भोजन किया जाता है और उपवास में निराहार रहना पड़ता है. आइए जानते हैं उपवास करने के नियम.



 


जान लीजिए क्या हैं नियम


 


1. व्रती को आचमन करके ही पूजा की शुरुआत करनी चाहिए. आचमन शुद्धता के लिए आवश्यक है. 


 


2. आचमन लेते समय दाहिने हाथ की अंगुलियों को मिलाकर सीधा करें और उनमें से कनिष्ठा तथा अंगूठे को अलग रखकर आचमन करें. 


 


3. लंबे समय तक चलने वाले व्रत का संकल्प बहुत पहले ही कर लिया गया तो उसमें जन्म और मरण का सूतक नहीं लगता है. 


 


4. उपवास और श्राद्ध में दातुन नहीं करना चाहिए यदि अधिक आवश्यकता हो तो जल के 12 कुल्ला कर अच्छी तरह से करके थूक दें. 


 


5. व्रत करने वाले व्यक्ति फिर चाहे वह पुरुष हो या स्त्री हो संपूर्ण व्रत में लाल वस्त्र और सुगंधित सफेद पुष्प धारण करें.


 


6. जल, फल, मूल, दूध, औषधि और गुरु के वचनों से व्रत नहीं बिगड़ता है. 


 


7. व्रत के आरंभ में सोम, शुक्र, बृहस्पति और बुधवार हो तो सब कामों में सफलता प्राप्त करते हैं साथ ही नक्षत्रों में अश्विनी, मृगशिरा, हस्त तीनों उत्तरा, अनुराधा और  रेवती नक्षत्र प्रीति, सिद्धि, साध्य, शुभ, शोभन और आयुष्मान योग हो तो सब प्रकार का सुख देते हैं.


 


8. व्रत के दिन व्रती को झूठ बोलने, रिश्वत लेने, व्यभिचार करने जैसे कार्यों को करने से हर हाल में बचना चाहिए.