विमलेश मिश्र/मंडला:  फागुन मास में होली त्यौहार और सफेद पलाश का खास महत्व है. सफेद पलाश जहां भगवान शिव को अत्यधिक पसंद है वहीं होली के दिन इस पेड़, इसके फूल और इसकी छाल की घास का महत्व होता है. यही वजह है कि दुर्लभ और खास, जिले के इस इकलौते सफेद पलाश के पेड़ की पूजा कर धन, संपदा, रिद्धि - सिद्धि प्राप्त करने लोग यहां पहुंचते हैं. साथ ही तांत्रिक क्रियाओं के लिए भी तांत्रिक यहां आते हैं. 


पेड़ के नीचे तांत्रिक करते हैं तंत्र साधना 


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ये अद्भुत और दुर्लभ सफेद पलाश का पेड़ जिले की जनपद मोहगांव के ग्राम सकरी में है जहां होली के दिन लोगों का जमावड़ा होता है. वहीं तांत्रिक भी तंत्र साधना करने यहां पहुंचते हैं. 


लोगों की श्रद्धा और आस्था का केंद्र है सफेद पलाश का पेड़ 


फागुन माह में जिले के जंगल जहां लाल पलाश के पेड़ों में लगे फूलों से अंगारों की तरह धधकते दिखते हैं, वहीं जिले के जंगलों के एक मात्र और अद्भुत सफेद पलाश का पेड़ है जो लोगों की श्रद्धा और आस्था का केंद्र है. इस सफेद पलाश के दर्शन ओर पूजन अर्चन के लिए न केवल जिले के लोग बल्कि दूसरे जिलों के लोग भी पहुंचते हैं. दूसरे राज्यों से लोग यहां आते हैं. प्रदेश सरकार द्वारा सरंक्षित उक्त पलाश का पेड़ होली के दिन खास महत्व रखता है. 


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भगवान शिव को बेहद प्रिय है सफेद पलाश 


कहा जाता है कि सफेद पलाश जहां धन वर्षा, तांत्रिक क्रियाओं में खास महत्व रखता है. वहीं इस पलाश के फूल, पत्ते और छाल भगवान शंकर ( महाकाल ) को बेहद प्रिय हैं. इस फूल से न सिर्फ भगवान शिव का श्रृंगार बेहद महत्व रखता है बल्कि साधु संत इस पेड़ के फूल, पत्तों का महाकाल के अभिषेक के लिए उपयोग करते हैं. कथित तौर पर पेड़ का तांत्रिक महत्व होने से इस दुर्लभ पेड़ को लोग नुकसान पहुंचा रहे हैं तो दूसरी तरफ इसके सरंक्षण की आवश्यकता है. 


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