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नई दिल्ली: हिंदू धर्म में होली का पर्व बहुत महत्वपूर्ण माना गया है. फाल्गुन मास की पूर्णिमा के दिल होलिका दहन किया जाता है और उसके अगले दिन रंग-अबीर-गुलाल से होली खेलते हैं. इन 2 दिनों के बीच की रात यानी कि होलिका दहन की रात बहुत खास होती है. इस दिन एक ओर नकारात्मक शक्तियां सक्रिय रहती हैं तो दूसरी ओर नकारात्मकता को खत्म करने के लिए होलिका दहन किया जाता है. धर्म, पंचांग और ज्योतिष के मुताबिक होलिका दहन हमेशा शुभ मुहूर्त में ही किया जाना चाहिए.
धर्म और ज्योतिष के मुताबिक होलिका दहन पर कभी भी भद्रा का साया नहीं रहना चाहिए. भद्रा के समय होलिका दहन करने से अनहोनी होने की आशंका रहती है. लिहाजा होलिका दहन हमेशा शुभ मुहूर्त में ही करना चाहिए. लिहाजा बताए जा रहे मुहूर्त में होलिका दहन न करें.
राहुकाल- दोपहर 02:00 से 03:30 बजे तक.
भद्रा- दोपहर 01:29 बजे तक भद्रा का साया रहेगा.
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17 मार्च 2022 की दोपहर 01:29 बजे तक चतुर्दशी तिथि रहेगी. इसके बाद पूर्णिमा तिथि होगी. वहीं 18 मार्च की मध्यरात्रि 01:09 बजे तक शूल योग रहेगा. इसके बाद गण्ड योग लगेगा. ज्योतिष शास्त्र में इन दोनों योगों को ही शुभ नहीं माना जाता है. इस समय चंद्रमा सिंह व सूर्य मीन राशि पर गोचर करेगा. सूर्य नक्षत्र पूर्व भाद्रपद व सूर्य नक्षत्र पद पूर्व भाद्रपद रहेगा. ऐसे में होलिका दहन करने के लिए शुभ मुहूर्त रात 09:20 बजे से 10:31 बजे तक रहेगा. इस 1 घंटे 10 मिनट के समय में ही विधि-विधान से होलिका दहन करना शुभ रहेगा.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)