Science News in Hindi: हर दिन आकाश में हजारों बार ब्रह्मांडीय ऊर्जा की चमक उठती है, लेकिन हमें नजर नहीं आती. इन्हें फास्ट रेडियो बर्स्ट (FRBs) कहते हैं. ये मिलीसेकेंडों में उतनी ऊर्जा निकालते हैं जितनी सूर्य पूरे दिन में करता है. क्षणभंगुर होने की वजह से, वैज्ञानिकों को FRBs पर रिसर्च करने में बड़ी परेशानी आती है. हमें आज तक यह नहीं पता चल सका है कि ये कहां से आती हैं और ऐसा व्यवहार क्यों करती हैं.


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कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी में कृति शर्मा के नेतृत्व में, एस्ट्रोनॉमर्स की एक टीम ने दावा किया है कि FRBs बड़ी आकाशगंगाओं में होते हैं, जहां अब भी तारों का निर्माण चल रहा है. अपनी स्टडी में टीम ने कहा कि फास्ट रेडियो बर्स्ट, काफी समय पहले मर चुके दुर्लभ तारों जिन्हें मैग्नेटर कहते हैं, से आते हैं. रिसर्चर्स के मुताबिक, मैग्नेटर्स दो तारों का ब्रह्मांडीय फ्यूजन मालूम होते हैं.


मैग्नेटर वाली आकाशगंगाओं से आ रही चमक


शर्मा और उनकी टीम ने 30 FRBs की घरेलू आकाशगंगाओं का एनालिसिस किया. उन्होंने पाया कि ये चमक उन विशालकाय आकाशगंगाओं से पैदा हुई, जहां अब भी तारे बन रहे हैं. इन आकाशगंगाओं में धातुओं की अधिकता है जो मैग्नेटर्स के बनने की संभावना जाहिर करता है. मैग्नेटर एक तरह का न्यूट्रॉन तारा है, जो 6 नवंबर को 'नेचर' पत्रिका में छपी स्टडी के अनुसार, तारों के विलय का विस्फोटक अवशेष हो सकता है.


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वैज्ञानिकों को अब भी यह मालूम नहीं कि फास्ट रेडियो बर्स्ट क्यों होते हैं. यह खगोल विज्ञान के सबसे बड़े रहस्यों में से एक बना हुआ है.


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