ऐसा कैसे संभव है? हमारी आकाशगंगा के केंद्र में मौजूद सुपरमैसिव ब्लैक होल की परिक्रमा करते मिले बाइनरी तारे
Black Hole News: एस्ट्रोनॉमर्स ने हमारी आकाशगंगा Milky Way के केंद्र में स्थित सुपरमैसिव ब्लैक होल (Sagittarius A*) की परिक्रमा कर रहे पहले बाइनरी तारों की खोज की है.
Science News in Hindi: वैज्ञानिकों ने पहली बार किसी सुपरमैसिव ब्लैक होल की परिक्रमा कर रहे बाइनरी तारों का पता लगाया है. तारों की यह जोड़ी हमारी अपनी आकाशगंगा - मिल्की वे - के केंद्र में मौजूद ब्रह्मांडीय दैत्य के चक्कर लगाती है. इस बाइनरी स्टार सिस्टम को D9 नाम दिया गया है. बाइनरी सिस्टम उन दो तारों को कहते हैं जो गुरुत्वाकर्षण द्वारा एक-दूसरे से बंधे होते हैं तथा एक-दूसरे के चारों ओर कक्षा में घूमते हैं.
वैज्ञानिकों ने इन्हें चिली के अटाकामा रेगिस्तान में लगे 'वेरी लार्ज टेलीस्कोप' (VLT) की मदद से खोजा. उनकी रफ्तार नापने पर रिसर्च टीम को अहसास हुआ कि वहां पर एक नहीं, दो तारे हैं. किसी सुपरमैसिव ब्लैक होल के इतने करीब इन बाइनरी तारों का अब तक बचे रहना वैज्ञानिकों को हैरान कर रहा है.
हमारी आकाशगंगा का सुपरमैसिव ब्लैक होल कितना बड़ा है?
Milky Way के गैलेक्टिक सेंटर में स्थित सुपरमैसिव ब्लैक होल Sagittarius A* का द्रव्यमान सूर्य से 43 लाख गुना अधिक है. यह अधिकतर समय निष्क्रिय रहता है और कभी-कभी ही गैस या धूल को अवशोषित करता है. वैज्ञानिकों के मुताबिक, मिल्की वे के सुपरमैसिव ब्लैक होल का व्यास लगभग 23.5 मिलियन किलोमीटर है. यह मिल्की वे की तुलना में बहुत छोटा है, जो 100,000 प्रकाश वर्ष में फैली हुई है और 1,000 प्रकाश वर्ष मोटी है.
क्यों हैरान कर रही बाइनरी तारों की खोज?
Nature Communications जर्नल में छपी स्टडी के अनुसार, D9 बाइनरी स्टार सिस्टम के तारे सिर्फ 2.7 मिलियन साल पुराने हैं. इसकी तुलना में सूर्य की उम्र लगभग 4.6 बिलियन साल है. इतने युवा तारों का Sgr A* के पास पाया जाना वैज्ञानिकों को चकित कर गया. अभी तक यह माना जाता था कि सुपरमैसिव ब्लैक होल्स के इर्द-गिर्द का इलाके में इतनी उथल-पुथल रहती है कि वहां नए तारों का जन्म नहीं हो सकता.
Sagittarius A* को भी इतना ताकतवर समझा जाता था. रिसर्च टीम की सदस्य, मिशल जाजाचेक ने कहा, 'D9 सिस्टम में तारों के चारों ओर गैस और धूल की मौजूदगी के साफ संकेत दिखाई देते हैं, जिससे पता चलता है कि यह एक बहुत ही युवा तारकीय प्रणाली हो सकती है, जिसका निर्माण सुपरमैसिव ब्लैक होल के आसपास हुआ होगा.'
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एक दिन मिल जाएंगे दोनों...
ब्लैक होल के अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण के बावजूद, तारों की यह जोड़ी एक-दूसरे की परिक्रमा करने में सफल हो रही है. हालांकि, वैज्ञानिकों का अनुमान है कि वे शायद लगभग दस लाख वर्षों में विलीन हो जाएंगे. ब्लैक होल का गुरुत्वाकर्षण आखिरकार उन्हें एक बना देगा.