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Explainer: 6,90,000 KM प्रति घंटा! इंसान की बनाई सबसे तेज चीज अब सूर्य के पास गोता लगाने वाली है

NASA Parker Solar Probe: 2018 में लॉन्च किया गया NASA का पार्कर सोलर प्रोब, इंसान की बनाई सबसे तेज चीज है. अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी का यह स्पेसक्राफ्ट लगभग 7 लाख किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से उड़ान भर सकता है. पार्कर सोलर प्रोब अब सूर्य को 'छूने' चल पड़ा है. NASA के मुताबिक, 24 दिसंबर को, यह सूर्य के कोरोना में अभी तक का सबसे नजदीकी गोता लगाने जा रहा है. इस दौरान, यह अंतरिक्ष यान सूर्य से लगभग 3.9 मिलियन मील (6.2 मिलियन किलोमीटर) की दूरी पर आएगा. Parker Solar Probe अपने सबसे नजदीकी अप्रोच पर 690,000 किमी/घंटा या 191 किमी/सेकंड की गति से यात्रा करेगा, जो प्रकाश की गति का 0.064% है.

क्यों इतना खास है NASA का पार्कर सोलर प्रोब मिशन?

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क्यों इतना खास है NASA का पार्कर सोलर प्रोब मिशन?

पार्कर सोलर प्रोब से पहले कोई भी अंतरिक्ष यान सूर्य के इतने करीब नहीं गया. 24 दिसंबर, 2024 को यह सूर्य की सतह से केवल 6 मिलियन किलोमीटर की दूरी तक पहुंचेगा. यह दूरी पृथ्वी से सूर्य की औसत दूरी का मात्र 4% है.

यह स्पेसक्राफ्ट अंतरिक्ष में अब तक की सबसे तेज गति से यात्रा कर रहा है. इसकी स्पीड लगभग 700,000 किलोमीटर प्रति घंटे (430,000 मील प्रति घंटे) है. यानी यह इंसान की बनाई अब तक की सबसे तेज चीज बन गया है. इस रफ्तार से पृथ्वी पर न्यूयॉर्क से टोक्यो केवल एक मिनट में पहुंचा जा सकता है.

सूर्य के अत्यधिक तापमान से प्रोब को बचाने के लिए इसमें 4.5 इंच मोटी कार्बन-कंपोजिट हीट शील्ड लगाई गई है. यह शील्ड 1370 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान को सहन कर सकती है.

पार्कर सोलर प्रोब अपने मिशन के दौरान पूरी तरह से ऑटोनॉमस नेविगेशन सिस्टम का इस्तेमाल कर रहा है. यह यान अपने आसपास के वातावरण के आधार पर अपने रास्ते को 'री-कैलिबरेट' कर सकता है.

नासा के 'पार्कर सोलर प्रोब' मिशन का उद्देश्य

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नासा के 'पार्कर सोलर प्रोब' मिशन का उद्देश्य

NASA का पार्कर सोलर प्रोब एक ऐतिहासिक अंतरिक्ष मिशन है. इसका मकसद सूर्य की सतह के करीब पहुंचकर उसकी आंतरिक गतिविधियों और उससे निकलने वाली ऊर्जा को समझना है.

सूर्य से लगातार आवेशित कणों की एक धारा निकलती रहती है, जिसे सौर हवा कहा जाता है. यह सौर हवा पूरे सौरमंडल को प्रभावित करती है और पृथ्वी की अंतरिक्ष मौसम प्रणाली पर भी असर डालती है. वैज्ञानिक यह समझना चाहते हैं कि यह हवा इतनी तेज गति से कैसे चलती है.

सूर्य की सतह का तापमान लगभग 5,500 डिग्री सेल्सियस है, लेकिन उसके चारों ओर फैला हुआ कोरोना (बाहरी वातावरण) इससे कई गुना अधिक गर्म है, लगभग 10 लाख डिग्री सेल्सियस. यह वैज्ञानिकों के लिए एक बड़ा रहस्य है जिसे पार्कर सोलर प्रोब सुलझाने की कोशिश कर रहा है.

सूर्य में होने वाले विस्फोटक घटनाएं, जैसे कोरोनल मास इजेक्शन (CME), सौर फ्लेयर्स, और प्लाज्मा का फेंका जाना, पृथ्वी पर तकनीकी प्रणालियों को बाधित कर सकते हैं. पार्कर सोलर प्रोब इन घटनाओं की भविष्यवाणी के लिए जरूरी डेटा जुटा रहा है.

सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र बहुत जटिल और गतिशील है. यह प्रोब उसके चुंबकीय क्षेत्र की संरचना और उससे जुड़ी परिघटनाओं की विस्तृत जानकारी प्रदान करता है.

Parker Solar Probe पर लगे साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स

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Parker Solar Probe पर लगे साइंटिफिक इंस्ट्रूमेंट्स

पार्कर सोलर प्रोब में चार अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरण लगाए गए हैं:

FIELDS

यह विद्युत और चुंबकीय क्षेत्रों को मापता है और सूर्य के आसपास के प्लाज्मा वातावरण की संरचना को समझता है. इससे सूर्य के चुंबकीय क्षेत्र की बारीक संरचना की जानकारी मिलती है.

WISPR (Wide-field Imager for Parker Solar Probe)

यह यान के सामने की तरफ लगे कैमरे की तरह काम करता है और सूर्य से निकलने वाली सौर हवा की तस्वीरें लेता है. इसकी तस्वीरें रिसर्चर्स को सौर घटनाओं के सबूत देती हैं.

SWEAP (Solar Wind Electrons Alphas and Protons)

यह उपकरण सौर हवा में मौजूद आवेशित कणों की संख्या, गति और घनत्व का पता लगाता है. यह उपकरण सौर हवा की गतिशील प्रकृति को समझने में मदद करता है.

IS☉IS

यह उपकरण उच्च-ऊर्जा वाले कणों की प्रकृति और उनकी उत्पत्ति का अध्ययन करता है. यह सूर्य के आसपास की ऊर्जावान घटनाओं को समझने के लिए अहम डेटा मुहैया करता है.

पार्कर सोलर प्रोब मिशन की अब तक की खोजें

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पार्कर सोलर प्रोब मिशन की अब तक की खोजें

24 दिसंबर की ऐतिहासिक छलांग से पहले ही, पार्कर सोलर प्रोब पहले ही बेहद अहम डेटा जुटा चुका है. इसने सौर हवाओं के स्रोतों की पहचान की और यह पता लगाया कि ये हवा सूर्य की सतह के चुंबकीय क्षेत्रों से निकलती है. इससे वैज्ञानिकों को अंतरिक्ष मौसम की सटीक भविष्यवाणी करने में मदद मिलेगी.

स्पेसक्राफ्ट ने छोटे-छोटे चुंबकीय तूफानों और सूर्य की सतह पर होने वाले अप्रत्याशित विस्फोटों को रिकॉर्ड किया, जिनके बारे में पहले कोई जानकारी नहीं थी. पार्कर सोलर प्रोब ने चुंबकीय क्षेत्र की उल्टी दिशा में होने वाले अचानक बदलाव, जिन्हें 'स्विचबैक' कहा जाता है, का पता लगाया. यह सौर हवा की गति और उसके प्रसार को समझने में काम आता है.

2025 तक लगाता रहेगा सूर्य के चक्कर

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2025 तक लगाता रहेगा सूर्य के चक्कर

यह मिशन 2025 तक अपनी कक्षाओं में सूर्य के चारों ओर घूमता रहेगा. हर बार यान सूर्य के और करीब जाता है, जिससे नए आंकड़े और खोजें सामने आती हैं. इस मिशन से प्राप्त जानकारी से वैज्ञानिक सौर तूफानों की बेहतर भविष्यवाणी कर सकेंगे, जिससे पृथ्वी की सैटेलाइट्स और संचार प्रणालियों की सुरक्षा सुनिश्चित होगी.

NASA का पार्कर सोलर प्रोब, खगोल विज्ञान के इतिहास में एक मील का पत्थर है. यह हमारे लिहाज से ब्रह्मांड की सबसे महत्वपूर्ण चीज - सूर्य - के बारे में हमारे ज्ञान को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा रहा है. इस मिशन से मिलने वाली जानकारियां भविष्य की पीढ़ियों के लिए कई अनसुलझे रहस्यों को खोल सकती हैं.

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