टोरंटो: वैज्ञानिकों ने मच्छरों की संख्या को कम करने के लिए एक नया कीटनाशक मुक्त तरीका निकाला है. इसके तहत भूखी मछलियों को उन जलों में रखा जाता है जहां मच्छर अपने अंडे देते हैं. कनाडा में वाटरलू विश्वविद्यालय के अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि भूखी मछलियां मच्छरों का लार्वा खाती हैं. इससे मच्छरों की संख्या कम करने में मदद मिलती है. एक अनुसंधानकर्ता ब्रैड फेडी ने कहा , “ मच्छरों की संख्या पर नियंत्रण करने का सबसे अच्छा तरीका लार्वा स्तर पर ही उन्हें खत्म करने का है.


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अभी तक इसके लिए लार्वासाइड का इस्तेमाल होता रहा है. इस कीटनाशक का पारिस्थितिकी तंत्र पर भी बुरा असर होता है. ’’ फेडी ने कहा कि मच्छरों की समस्या का समाधान मछलियों से करना बेहद लाभकारी है. इसमें ज्यादा खर्चा भी नहीं है और यह पर्यावरण के भी अनुकूल है. 


डेंगू होने के कारण और उससे बचने के उपाय
डीज मच्छर के काटने पर होने बीमारी डेंगू महामारी की तरह फैलता है. जो पहले तो सामान्य बुखार की तरह ही लगता है मगर इसका प्रभाव शरीर पर बहुत खरतरनाक से होता है. अगर इसका इलाज सही तरह से नहीं किया गया तो मौत भी हो सकती है. डेंगू मलेरिया की तरह मच्छर के काटने से होता है. डेंगू का वायरस एडीज मच्छर के काटने से फैलता है. डेंगू का बुखार ज्यादा से ज्यादा दो हफ्ते तक रहता है. इस रोग का पनपना जून के महीने से शुरू होता है और मॉनसून के महीने में अपना चरम प्रकोप दिखाना शुरू करता है. 


जो लोग शारीरिक रूप से संवेदनशील होते हैं या उनकी प्रतिरक्षा क्षमता कमजोर होती है, उनमें डेंगू रोग होने की संभावना ज्यादा होती है. एडीज मच्छर के काटने से जो वायरस फैलता है  वह शरीर को तभी प्रभावित करता है जब शरीर उससे लड़ने में असक्षम होता है. इस रोग से बच्चे से लेकर वयस्क सभी प्रभावित होते हैं विशेषकर बच्चे संवेदनशील होने के कारण ज़्यादा प्रभावित होते हैं. डेंगू के एडीज मच्छर दिन में काटते हैं, इसलिए दिन के समय भी मच्छर से खुद को बचाना जरूरी होता है।


डेंगू रोग होने के कारण और बचने के उपाय:-
डेंगू के ज्वर के लक्षण प्रथम चरण में सामान्य ज्वर के तरह ही लगते हैं. इसलिए पहले के चरण में इसका पता लगाना मुश्किल होता है. प्रथम चरण में डेंगू के लक्षण इस प्रकार के होते हैं- बुखार का टेम्परेचर चढ़ जाता है. बुखार आने के वक्त ठंड लगने लगता है. सर में बहुत दर्द होना. मांसपेशियों या जोड़ों में बहुत दर्द होना.


ग्लैंड में दर्द या सूजन होना. उल्टी होना. भूख न लगना. ब्लडप्रेशर कम हो जाना. चक्कर आना. शरीर में रैशज का होना. खुजली होना. कमजोरी होना. यह तो डेंगू के प्रथम अवस्था के लक्षण हैं जो साधारणतः रोगी के शरीर के मुताबिक होता है. लेकिन जब डेंगू के रोग की स्थिति बहुत गंभीर हो जाती है तब शरीर में कुछ और समस्याएं नजर आने लगती है, जैसे- पेट में तेज दर्द होना. पेशीशूल. लीवर में फ्लूइड का जमा होना. सीने में फ्लूइड का जमा होना. खून में प्लेटलेट्स का कम होना. रक्तस्रावआदि. 


इनपुट भाषा से भी