Ayodhya Janaki Navami: तिथि के भेद के चलते छोटी देवकाली मंदिर में सीता नवमी का पर्व 16 मई को मनाया जाएगा. जबकि वैष्णव परंपरा के मंदिरों में 17 मई को जन्मोत्सव मनाया जाएगा. रामनगरी अयोध्या में दो दिन यानी 16 और 17 मई को जानकी नवमी का त्योहार मनाया जाएगा.
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Janaki Navami in Ayodhya: 17 अप्रैल को धूमधाम से रामनवमी का त्योहार मनाया गया. इस अवसर पर राम मंदिृर अयोध्या में भी भव्य कार्यक्रम का आयोजन हुआ, जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु शामिल हुए. अब इसके एक महीने बाद सीता नवमी यानी जानकी नवमी मनाई जाएगी. वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को जानकी का प्राकट्योत्सव मनाया जाएगा. जानकी जन्मोत्सव की तैयारियां जोरों शोरों से चल रही हैं.
दो दिन मनाई जाएगी जानकी नवमी
वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि की शुरुआत 16 मई को सुबह 6 बजकर 22 मिनट पर होगी. वहीं, इसका समापन 17 मई को सुबह 08 बजकर 48 मिनट पर होगा. जानकी जन्मोत्सव की तिथि को लेकर भेद सामने आया है. इसके चलते छोटी देवकाली मंदिर में सीता नवमी का पर्व 16 मई को मनाया जाएगा. जबकि वैष्णव परंपरा के मंदिरों में 17 मई को जन्मोत्सव मनाया जाएगा. रामनगरी अयोध्या में दो दिन यानी 16 और 17 मई को जानकी नवमी का त्योहार मनाया जाएगा.
श्रीराम महायज्ञ का होगा आयोजन
जानकी नवमी के अवसर पर दशरथ राजमहल बड़ा स्थान में श्रीराम महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा जो बिंदुगद्याचार्य महंत देवेंद्र प्रसादाचार्य के सानिध्य में होगा. इसी के साथ कनक भवन में भी जनक नंदिनी का उत्सव जोरों शोरों से मनाया जाएगा.
सीता नवमी का महत्व
सीता नवमी का त्योहार बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र के लिए व्रत रखती हैं. इससे दांपत्य जीवन में मिठास आती है और सुख-शांति का वास होता है.
घर पर इस शुभ मुहूर्त में करें पूजा
आप घर पर सीता नवमी के अवसर पर माता सीता की पूजा इस शुभ मुहूर्त में कर सकते हैं. सीता नवमी का शुभ मुहूर्त 16 मई को सुबह 10 बजकर 56 मिनट पर शुरू होगा जो दोपहर 01 बजकर 39 मिनट तक रहेगा. 2 घंटे 43 मिनट की अवधि में सीता नवमी की पूजा कर सकते हैं.
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सीता नवमी पर जरूर पढ़ें जानकी आरती
आरति श्रीजनक-दुलारी की।
सीताजी रघुबर-प्यारी की।।
जगत-जननि जगकी विस्तारिणि,
नित्य सत्य साकेत विहारिणि।
परम दयामयि दीनोद्धारिणि,
मैया भक्तन-हितकारी की।।
आरति श्रीजनक-दुलारी की।
सतीशिरोमणि पति-हित-कारिणि,
पति-सेवा-हित-वन-वन-चारिणि।
पति-हित पति-वियोग-स्वीकारिणि,
त्याग-धर्म-मूरति-धारी की।।
आरति श्रीजनक-दुलारी की।।
विमल-कीर्ति सब लोकन छाई,
नाम लेत पावन मति आई।
सुमिरत कटत कष्ट दुखदायी,
शरणागत-जन-भय-हारी की।।
आरति श्रीजनक-दुलारी की।
सीताजी रघुबर-प्यारी की।।