चीन बना रहा `महामानवों` की सेना, आकाश से लेकर पाताल तक पहुंचेगा `सुपर सोल्जर`
द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी वैज्ञानिकों ने एक फीमेल चिंपैंजी को ह्यूमन स्पर्म से प्रेग्नेंट कर दिया था, जिससे रियल लाइफ HUMANZEE तैयार किया जा सके.
मॉस्को/पेइचिंग: लंबे समय से इंसानों और दूसरे जानवरों के बीच प्रयोग के जरिए हाइब्रिड बनाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं. ये प्रयोग आज भी जारी हैं और इसका मकसद है कि ट्रांसप्लांट ऑर्गन्स को सभी के लिए सुलभ बनाया जा सके. साथ ही हाइब्रिड 'Humanzee' का इस्तेमाल खनन, भारी कृषि कार्य, बाहरी अंतरिक्ष और समुद्र की गहराई जैसी जगहों की खोज के लिए किया जा सके.
चीनी वैज्ञानिकों ने किया प्रयोग
द सन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी वैज्ञानिकों ने एक फीमेल चिंपैंजी को ह्यूमन स्पर्म से प्रेग्नेंट कर दिया था, जिससे रियल लाइफ HUMANZEE तैयार किया जा सके. रिपोर्ट के मुताबिक, ये दावा इससे जुड़े शोधकर्ता ने किया. इसे लेकर खुलासा किया गया कि ये प्रोजेक्ट शुरू तो किया गया था, लेकिन 1960 के दशक में देश में कल्चरल रेवोल्यूशन के दौरान इस विवादित प्रोजेक्ट को बंद कर दिया गया. इसकी वजह से गर्भधारण के तीन महीने बाद फीमेल चिंपैंजी की मौत हो गई.
1980 के दशक में एक रिपोर्ट सामने आई जिसमें 1967 में चीन में किए गए मानव-चिंपैंजी क्रॉसब्रीडिंग में एक प्रयोग की जानकारी दी गई. कहा जाता है कि चीनी सरकार ने इस परियोजना को दोबारा शुरू करने के लिए कहा था.
कहा जाता है कि चीनी सरकार ने इस परियोजना को दोबारा शुरू करने के लिए कहा था. इसमें शामिल वैज्ञानिकों में से एक डॉ जी योंगजियांग ने बताया कि उनका लक्ष्य एक ऐसा जानवर पैदा करना था जो बोल सके और उसमें चिंपैंजी जैसी ताकत हो.
उन्होंने कहा कि हाइब्रिड 'Humanzee' का इस्तेमाल खनन, भारी कृषि कार्य, बाहरी अंतरिक्ष और समुद्र की गहराई जैसी जगहों की खोज के लिए किया जाएगा. हालांकि अभी तक आनुवंशिक रूप से इंजीनियर वानर-मानवों के सफलतापूर्वक उत्पादन के कोई सबूत नहीं मिले हैं.
मानव और बंदर का हाइब्रिड
2019 में यूएस साल्क इंस्टीट्यूट फॉर बायोलॉजिकल स्टडीज के प्रोफेसर जुआन कार्लोस इजपिसुआ बेलमोंटे के नेतृत्व में वैज्ञानिकों को बड़ी कामयाबी हासिल हुई थी. इस टीम ने कथित तौर पर एक मानव और बंदर का हाइब्रिड तैयार किया था जो 19 दिनों तक जीवित रहा था.
'सुपर सैनिक' बनाने का आदेश
रूस में सोवियत वैज्ञानिकों को 1920 के दशक में तानाशाह स्टालिन ने एक हाइब्रिड एप-मैन (बंदर-मानव) 'सुपर सैनिक' बनाने का आदेश दिया था जो चरम परिस्थितियों में भी काम करने में सक्षम हो जहां आम इंसानों के लिए जीवित रहना भी मुश्किल था. उस समय के गुप्त दस्तावेज, जिन्हें 1990 के दशक में सार्वजिनक किया गया था. इसका मकसद बेहद ताकतवर, लेकिन अविकसित दिमाग वाली' मानव-बंदरों की एक सेना को बनाना था जो 'लचीली और भूख-प्रतिरोधी' हो.
इस परियोजना का नेतृत्व इल्या इवानोविच इवानोव ने किया था, लेकिन ये प्रोजेक्ट सफल हुआ ऐसा नहीं लगता क्योंकि, 1930 के दशक की शुरुआत में ही इवानोव की सोवियत कैंप में ही मौत हो गई थी. 1970 के दशक में मानवीय विशेषताओं के साथ एक कथित 'म्यूटेंट' चिंपैंजी ने 'ह्यूमनजी' विचार को एक बार फिर हवा दी.
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सर्कस में परफॉर्म करने वाला एक वानर ओलिवर के मानव-चिंपैंजी हाइब्रिड होने की सूचना मिली थी. यह अन्य चिंपैंजी की तुलना में ज्यादा बुद्धिमान प्रतीत होता था और इसके शरीर पर कम बाल थे. हालांकि पोस्टमॉर्टम में ओलिवर एक सामान्य चिंपैंजी निकला.
चीन की लैब अब भी कर रही काम
द सन की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि एक ह्यूमनजी का जन्म अमेरिका में एक हाइब्रिडाइजेशन प्रोजेक्ट के दौरान हुआ था, लेकिन उसे लैब कर्मियों ने ही मार दिया था. इस प्रोजेक्ट पर अभी भी चीन की एक लैब काम कर रही है.