Asteroid News: धरती से डायनासोर को वजूद खत्म करने वाला एस्टेरॉयड लगभग 10 किलोमीटर का था. वैज्ञानिकों का अनुमान है कि वैश्विक तबाही मचाने वाली ऐसी घटना हर 100 मिलियन से 500 मिलियन सालों में एक बार होती है. हालांकि, खतरा सिर्फ कई किलोमीटर बड़े एस्टेरॉयड्स से ही नहीं, अंतरिक्ष में तैरते-तैरते कहीं छोटे एस्टेरॉयड्स से भी है. किसी बस जितने साइज वाले एस्टेरॉयड हर कुछ साल में पृथ्वी से अधिक बार टकरा सकते हैं. जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप (JWST) की पुरानी तस्वीरों का एनालिसिस करते हुए वैज्ञानिकों ने ऐसे 100 से अधिक एस्टेरॉयड्स की पहचान की है. ये सभी एस्टेरॉयड, बृहस्पति और मंगल ग्रह के बीच मेन एस्टेरॉयड बेल्ट में मौजूद हैं.


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छोटे एस्टेरॉयड्स भी मचा सकते हैं तबाही!


नए खोजे गए एस्टेरॉयड्स का आकार एक बस से लेकर कई स्टेडियमों के बराबर है. ये 'डेकामीटर' एस्टेरॉयड जो केवल दसियों मीटर के व्यास के होते हैं, मुख्य एस्टेरॉयड बेल्ट से बचकर पृथ्वी के निकट के पिंडों में ट्रांसफर होने अधिक संभावना रखते हैं. अगर वे धरती से टकराते हैं, तो ये छोटी लेकिन शक्तिशाली अंतरिक्ष चट्टानें पूरे क्षेत्र में शॉकवेव भेज सकती हैं. ठीक वैसी, जैसे कि साइबेरिया के तुंगुस्का में 1908 में हुआ था. केवल एक दशक पहले, सिर्फ दस मीटर का एक एस्टेरॉयड रूस के चेल्याबिंस्क के ऊपर फटा था. उसने द्वितीय विश्व युद्ध में हिरोशिमा पर विस्फोटित परमाणु बम से 30 गुना अधिक ऊर्जा उत्सर्जित की थी.


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रिसर्चर्स के मुताबिक, ये तथाकथित 'डेकामीटर' एस्टेरॉयड अपने बड़े समकक्षों की तुलना में पृथ्वी से 10,000 गुना अधिक बार टकराते हैं. लेकिन छोटा आकार रिसर्चर्स के लिए इनका पहले से पता लगाना चुनौतीपूर्ण बना देता है.


जेम्स वेब स्पेस टेलीस्कोप ने यूं लगाया एस्टेरॉयड्स का पता (Photo: Ella Maru and Julien de Wit)

नए मिले एस्टेरॉयड बड़ी, किलोमीटर आकार की अंतरिक्ष चट्टानों के बीच टकराव के अवशेष हैं. ये मुख्य क्षुद्रग्रह बेल्ट में अभी तक खोजे जाने वाले सबसे छोटे हैं. रिसर्चर्स का कहना है कि JWST इस खोज के लिए आदर्श साबित हुआ है. टेलीस्कोप की तेज इंफ्रारेड आंखें एस्टेरॉयड के तापीय उत्सर्जन का पता लगाती हैं. ये इंफ्रारेड उत्सर्जन एस्टेरॉयड्स की सतहों से परावर्तित होने वाली मंद सूर्य की रोशनी की तुलना में बहुत अधिक चमकीले होते हैं.


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क्यों भविष्‍य के लिए अच्छा संकेत?


JWST हमें इन छोटी चट्टानों को ट्रैक करने में काम आ सकता है. नए टेलीस्कोपों की मदद से हम अपने सौरमंडल में मौजूद हजारों अन्य छोटे एस्टेरॉयड का पता लगा पाएंगे. इनमें से एक है चिली की वीरा सी. रुबिन ऑब्जर्वेटरी. यह अगले साल से दुनिया का सबसे बड़ा डिजिटल कैमरा इस्तेमाल करते हुए अगले 10 साल तक, हर रात दक्षिणी आकाश की तस्वीरें उतारेगा.


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