Scientific Facts: इंसानों के लिए बनाई जाने वाली दवाईयों की लैब टेस्टिंग चूहों के ऊपर ही की जाती है. आइए जानते हैं ऐसा क्यों होता है. क्या है इसका साइंटिफिक कारण.
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Lab Testing On Rats: आपने अक्सर सुना होगा, कि इस ड्रग (Drug) का प्रैक्टिकल चूहों पर किया गया. कोरोना वैक्सीन (Vaccine) से लेकर किसी किसी नई दवाई के इस्तेमाल तक सबसे पहले चूहों पर ही प्रयोग किया जाता है. क्या कभी आपने सोचा है कि इसके पीछे की क्या वजह है? क्यों कोई भी प्रयोग चूहों पर ही किया जाता है, मानव (Human) या किसी दूसरे जीव पर क्यों नहीं. आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे की वजह.
चूहों पर प्रयोग की वजह
सबसे पहली बात तो ये है कि चूहा ऐसा जीव है जो मानव की तरह ही स्तनधारी (Mammals) है. चूहे की कोशिकाएं भी इंसानों की तरह ही होती हैं. इसलिए अगर कोई प्रयोग चूहे पर सफल हो जाता है, तो इंसानों पर भी सफल होने के चांस बढ़ जाते हैं. हालांकि चिंपांजी और बंदर पर भी ये टेस्टिंग (Testing) की जा सकती है, लेकिन चूहे के आकार में छोटे होने की वजह से उसे लैब (Lab) में अच्छी तरह से रखा जा सकता है.
जल्दी सामने आएगा रिजल्ट
किसी भी दवाई (Drug) का असर देखने के लिए हमें कई दिनों तक इंतजार करना होगा. अगर चूहे के ऊपर टेस्टिंग की जाए तो जल्दी परिणाम (Result) सामने आ जाएंगे. चूहे का जीवनकाल छोटा होता है. ये 21 दिनों में बच्चे को जन्म दे देता है, ऐसे में अगर किसी प्रेग्नेंट औरत के लिए दवाईयों का टेस्ट करना है, तो चूहों के ऊपर टेस्टिंग कर थोड़े ही दिनों में रिजल्ट आ जाएगा. अगर उदाहरण के तौर पर हम पोलियो को लें, तो जो लक्षण इंसानों में 15 सालों में दिखना शुरू होंगे वो चूहों में 6 महीने में ही सामने आ जाएंगे. समय की बचत के लिए भी चूहों पर टेस्टिंग की जाती है.
मानव पर नहीं कर सकते टेस्टिंग
कोई भी दवाई का टेस्ट सीधे इंसानों पर नहीं किया जाता है. चूंकि कोई दवाई बॉडी के खतरनाक हो सकती है. इन नई दवाईयों के इस्तेमाल से जान तक जा सकती है. दवाई की टेस्टिंग के लिए दूसरे या तीसरे चरण में कुछ लोगों पर टेस्ट किया जाता है.
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