भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने अनुमान लगया है कि इस साल कड़ाके की ठंड पड़ने वाली है. इतनी ठंड आपने इससे पहले कभी बर्दाश्त भी नहीं की होगी.
ला नीना ग्लोबल जलवायु प्रणाली का महत्वपूर्ण हिस्सा है. ये शब्द स्पैनिश भाषा का है, जिसका मतलब एक छोटी बच्ची होता है. पूर्वी महासागर क्षेत्र की सतह पर निम्न हवा का दबाव होने पर ऐसी स्थिति पैदा होती है, जिससे समुद्री सतह का तापमान काफी कम हो जाता है.
इसका सीधा असर दुनियाभर के तापमान पर होता है और वो भी औसत से ठंडा हो जाता है. फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ला नीना नौ महीने से लेकर सालभर तक हो सकता है.
इस साल देश के उत्तरी हिस्से में जोरदार ठंड होगी. साथ में शीतलहर की आशंका भी जताई जा रही है. इसके आने से दुनियाभर के मौसम पर असर दिखता है और बारिश, ठंड, गर्मी सबमें फर्क दिखाई देता है. वैसे राहत की बात यह है कि ये दोनों ही हालात हर साल नहीं, बल्कि 3 से 7 साल में दिखते हैं.
देश में ठंड, बहुत अधिक ठंड और कड़ाके की ठंड तय करने के लिए मौसम विभाग ने कुछ पैमाने तय कर रखे हैं. अगर दिन में अधिकतम तापमान, सामान्य तापमान से 4.5 डिग्री सेल्सियस तक नीचे रहता है, तो ऐसे दिन को सर्द दिन कहते हैं. वहीं अगर अधिकतम तापमान, सामान्य तापमान से 7 से 12 डिग्री सेल्सियस तक नीचे चला जाता है तो इसे कड़ाके की ठंड कहते हैं.
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