Satellite Blast Near ISS: स्पेस में एक बड़ा धमाका हुआ है. रूस का एक सैटलाइट ऑर्बिट में 100 से ज्यादा टुकड़ों में टूटकर बिखर गया. अगर आपने स्पेस पर आधारित हॉलीवुड की फिल्में देखी होंगी तो अंदाजा लगा सकते हैं कि अंतरिक्ष में जब मलबा फैला होगा तो क्या सीन रहा होगा. जी हां, वह काफी खतरनाक स्थिति होती है और उसकी चपेट में आने वाली चीजें भी तबाह हो सकती हैं. टेंशन की बात यह थी कि यह धमाका जिस जगह हुआ उससे करीब ही अंतरराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन (International Space Station) था. ऐसे में जान बचाने के लिए वहां मौजूद एस्ट्रोनॉट्स को सेफ हाउस में भागना पड़ा. यह सेफ हाउस दरअसल उनका स्पेसक्राफ्ट था, जिसमें वे करीब एक घंटे तक रहे. 


रूस के कौन से सैटलाइट में ब्लास्ट हुआ


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रूस के उस अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटलाइट का नाम RESURS-P1 था. उसे 2022 में ही डेड घोषित कर दिया गया था. बुधवार को वह स्पेस में खंड-खंड हो गया. उस समय मलबे की स्पीड इतनी ज्यादा होती है कि आसपास किसी सैटलाइट या स्टेशन को नुकसान होने का खतरा बना रहता है. ऐसे में ISS के एस्ट्रोनॉट्स ने एहतियाती कदम उठाते हुए अपने सेफ हाउस वाले स्पेसक्राफ्ट में छिपकर जान बचाई. US स्पेस कमांड ने बताया है कि दूसरे सैटलाइट्स को फिलहाल कोई खतरा नहीं है.


सैटलाइट के ब्लास्ट की वजह अब तक साफ नहीं है. रूस की स्पेस एजेंसी Roscosmos ने भी इस घटना पर कोई टिप्पणी नहीं की है. यूएस स्पेस ट्रैकिंग फर्म LeoLabs ने इस बात का पता लगाया कि सैटलाइट के टुकड़े फैल रहे हैं. इसके बाद यूएस स्पेस कमांड ने कन्फर्म किया कि 100 से ज्यादा टुकड़े स्पेस में टूटकर बिखर गए हैं. 


स्पेस में मलबा


ऑर्बिट में बड़े मलबे पैदा होने की घटना आम नहीं है लेकिन यह अब तेजी से चिंता की वजह बनती जा रही है. हां, इसका कारण यह है कि सैटलाइट की संख्या तेजी से बढ़ी है. 2021 में पश्चिमी देशों ने रूस की कड़ी आलोचना की थी कि जब उसने अपने एक सैटलाइट को धरती से ही एंटी-सैटलाइट मिसाइल के जरिए उड़ा दिया था. इससे ऑर्बिट में मलबे के हजारों टुकड़े फैल गए थे. हालांकि इस केस में RESURS-P1 सैटलाइट के मिसाइल से तोड़े जाने की संभावना नहीं है.


दरअसल, जब सैटलाइट अपनी लाइफ पूरी कर लेते हैं तो वे ऑर्बिट में शांत बने रहते हैं जब तक कि पृथ्वी के वातावरण की तरफ न आ जाएं और जलकर खत्म हो जाएं. दूसरा विकल्प ऑर्बिट के 'कब्रिस्तान' में जाने का है जो पृथ्वी से 36,000 किमी की दूरी पर है. इससे एक्टिव सैटलाइटों से टकराने का खतरा बिल्कुल कम हो जाता है. 


रूस ने इस सैटलाइट को 2021 में डेड घोषित किया था क्योंकि इसके कई उपकरण फेल हो गए थे.