Science News in Hindi: वैज्ञानिकों ने मकड़ी के जहर से प्रेरणा लेते हुए अपनी तरह की पहली दवा तैयार की है. अब वे यह टेस्ट करने में लगे हैं कि क्या इस दवा से हार्ट अटैक की वजह से होने वाले टिश्यू डैमेज को ठीक किया जा सकता है. ऑस्ट्रेलिया में अगले साल होने वाले क्लिनिकल ट्रायल में इस दवा के असर और सेफ्टी का टेस्ट किया जाएगा. यह दवा असल में Hi1a नाम का एक छोटा प्रोटीन है, जो ऑस्ट्रेलियाई फनल-वेब मकड़ियों के जहर में मौजूद एक अणु की नकल करता है. यह दिल के दौरे के दौरान हृदय के ऊतकों को बहुत अधिक अम्लीय होने से रोकता है.


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वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि Hi1a पहली ऐसा दवा बनेगी जो हार्ट अटैक से होने वाले टिश्यू डैमेज पर सीधे काम करेगी. शुरू में इसे अस्पतालों में इस्तेमाल के लिए विकसित किया जाएगा. बाद में इसे इमरजेंसी सर्विसेज को भी उपलब्ध कराने की योजना है. रिसर्च टीम ने लाइवसाइंस से बातचीत में कहा कि हार्ट अटैक के कितनी देर बाद यह दवा देना सबसे कारगर होगा, यह अभी नहीं पता है.


रिसर्च टीम के मुताबिक, Hi1a को ट्रांसप्लांटेशन के लिए उपलब्ध डोनर हार्ट्स की संख्या बढ़ाने में भी यूज किया जा सकता है. उनका कहना है कि Hi1a डोनर के शरीर से दिल निकालने की प्रक्रिया के दौरान होने वाले नुकसान से बचाव कर सकती है.


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कैसे काम करती है यह दवा?


रिसर्चर्स के अनुसार, Hi1a एसिड-सेंसिंग आयन चैनल 1a (ASIC1a) नामक एक छोटे से रास्ते को टारगेट करती है. यह पदार्थों को सर्कुलेटरी सिस्टम सहित पूरे शरीर में कोशिकाओं के अंदर और बाहर जाने की अनुमति देता है. हार्ट अटैक (दिल का दौरा) के दौरान, ब्लड फ्लो में कमी के चलते दिल की मांसपेशियों को ऑक्सीजन पहुंचनी बंद हो जाती है. ऑक्सीजन की कमी के चलते एक सेलुलर चेन रिएक्शन शुरू होता है जो कोशिकाओं की सतह पर मौजूद ASIC1a चैनल्स को एक्टिवेट करता है.


ASIC1a चैनल खुले होने पर चार्ज्ड मॉलिक्यूल्स भीतर घुस जाते हैं और दिल के टिश्यूज को बहुत अम्लीय (एसिडिक) बना देते हैं. इससे टिश्यू (ऊतक) मर जाते हैं. क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी में मॉलिक्यूलर बायोसाइंस के प्रोफेसर, ग्लेन किंग ने बताया कि Hi1a इस प्रक्रिया को शॉर्ट सर्किट करने के लिए ASIC1a चैनल्स को ब्लॉक कर देती है.


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यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित 2023 की एक स्टडी में, किंग और उनके सहयोगियों ने दिखाया था कि चूहों में Hi1a का इंजेक्शन लगाने से दिल को हार्ट अटैक के दौरान ब्लड फ्लो की कमी से होने वाले नुकसान से बचाया जा सकता है. पेट्री डिश में मानव हृदय की मांसपेशी कोशिकाओं में भी इसी तरह के प्रभाव देखे गए.


कब तक उपलब्ध होगी दवा?


अगर इंसानों पर शुरुआती ट्रायल सफल रहे तो रिसर्च टीम और बड़े ट्रायल की ओर बढ़ेगी. बाद में फेज II और फेज III कहे जाने वाले इन ट्रायल्स के आधार पर, बड़े पैमाने पर दवा की सुरक्षा और प्रभाव को जांचा जाएगा. चूंकि क्लिनिकल ट्रायल पूरे होने में कई साल लगते हैं, इसलिए मरीजों को दवा कब तक उपलब्ध होगी, इस बारे में पक्के तौर पर कुछ नहीं कहा जा सकता.


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