Science News in Hindi: गहरे समुद्र की सतह के नीचे छिपी हुई गुहाओं में बहुकोशिकीय प्राणियों का एक पूरा संसार बसा हुआ है. एक हैरान करने वाली खोज में समुद्र तल के नीचे पनप रहे पशु जीवन का पता चला है.
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Science News: वैज्ञानिकों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने गहरे समुद्र में पनप रहे जीवन की खोज की है. प्रशांत महासागर के मध्य में समुद्र तल के कुछ हिस्सों के नीचे बहुकोशिकीय जानवरों के पूरे-पूरे समुदाय मिले हैं. सूक्ष्मजीव और वायरस इस तरह की जगहों पर पाए गए हैं, लेकिन नई रिसर्च बताती है कि बड़े जानवर भी वहां रह सकते हैं. यह खोज हमारी जानकारी से कहीं अधिक जटिल हाइड्रोथर्मल ईकोसिस्टम की ओर इशारा करती है. यह इलाका समुद्र की गहराइयों में स्थायी अंधकार में डूबा रहता है. ऐसी जगहों पर अत्यधिक दबाव और तीव्र ठंड के कारण ऐसी परिस्थितियां उत्पन्न हो जाती हैं जो हवा से भरी सतह पर रहने वाले मनुष्यों के लिए बेहद प्रतिकूल होती हैं.
गहरे समुद्र के इन्हीं वेंट्स में पनपा जीवन
रिसर्चर्स ने अपनी स्टडी में ईस्ट पैसिफिक रिज पर फोकस किया. यह प्रशांत महासागर के तल पर मौजूद ज्वालामुखीय रूप से सक्रिय रिज है जहां दो टेक्टॉनिक प्लेटें मिलती हैं. समुद्र की सतह से 2,515 मीटर (8,250 फीट) नीचे, ईस्ट पैसिफिक राइज के हाइड्रोथर्मल वेंट्स तक इंसानों का पहुंचना मुश्किल है. लेकिन समुद्र तल का यह इलाका ज्वालामुखीय रूप से सक्रिय छेदों से भरा हुआ है, जिनसे गर्मी और खनिज रिसते हैं. हाइड्रोथर्मल वेंट्स में अलग-अलग तरह के ईकोसिस्टम पाए जाते हैं. कुछ वैज्ञानिकों का अनुमान है कि गहरे समुद्र के इन्हीं वेंट्स में पृथ्वी पर जीवन की उत्पत्ति हुई.
वैज्ञानिकों ने रिमोट से चलने वाले वीइकल SuB-astian की मदद से इन वेंट्स के आसपास पनप रहे जीवन का पता लगाया. रिसर्चर्स ने समुद्र तल के नीचे गर्म पानी की उथली गुहाओं को जाहिर करने के लिए वेंट के पास लावा रॉक शेल्फ को उठाया. SuB-astian से मिलीं तस्वीरों से गुहाओं के भीतर समुदायों में रहने वाले विशाल ट्यूबवर्म, घोंघे और मसल्स की कॉलोनियों का पता चला.
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नई खोज हमें क्या बता रही?
समुद्रतल के अधिकांश जानवर ऐसी प्रजातियों से संबंधित हैं जो समुद्रतल की सतह पर भी रहती हैं. नई खोज इशारा करती है कि दोनों ईकोसिस्टम आपस में जुड़े हुए हैं. रिसर्चर्स का अनुमान है कि सतही ईकोसिस्टम से छोटे लार्वा झरझरा ज्वालामुखीय चट्टानों के जरिए नीचे गुहा ईकोसिस्टम को आबाद करने के लिए गिरते हैं. रिसर्च टीम की स्टडी के नतीजे Nature Communications पत्रिका में छपे हैं.