What Is Mission Mausam: देश में अचानक जलवायु परिवर्तन के चलते से कभी भारी बारिश और बाढ़ का सामना करना पड़ता है, कभी कुछ राज्यों में बारिश नहीं होने या कम होने से सूखे के हालात बन जाते हैं, कभी कई पर्वतीय इलाकों में भूस्खलन, बादलों और ग्लेशियर का फटना तो कभी तटीय इलाकों में समुद्री चक्रवाती तूफान की वजह से मुसीबत झेलनी पड़ती है. इन सब दिक्कतों से समय रहते निपटने के लिए केंद्र सरकार ने हाल ही में महत्वाकांक्षी मिशन मौसम को लॉन्च किया है.


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मार्च 2026 तक चलेगा पहला चरण, 2000 करोड़ आवंटित


मिशन मौसम के तहत देश में मौसम के बारे में सटीक अनुमान लगाने के साथ बारिश कराने और रोकने की विशेषज्ञता भी विकसित की जाएगी. वैज्ञानिक आकाशीय बिजली गिरने और बादल फटने की घटनाओं पर भी काबू कर सकेंगे. मिशन मौसम के पहले चरण के लिए केंद्र सरकार ने 2,000 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं. पहला चरण इस साल से मार्च 2026 तक चलेगा. इसके बाद दूसरे चरण में निगरानी की क्षमता बढ़ाने के लिए सेटेलाइट और एयरक्राफ्ट की संख्या बढ़ाई जाएगी.


मिशन मौसम क्या है? इसके तहत किन लक्ष्यों को साधा जाएगा


मिशन मौसम का प्राथमिक लक्ष्य चरम मौसम की घटनाओं और जलवायु से संबंधित चुनौतियों का पूर्वानुमान लगाने और उनका जवाब देने की देश की क्षमता को बढ़ाना है. यह भारत को 'हर मौसम के लिए तैयार' और 'क्लाइमेट स्मार्ट' राष्ट्र में बदलने के लक्ष्य के साथ की गए एक व्यापक पहल है. मिशन का लक्ष्य अत्याधुनिक मौसम निगरानी, ​​बेहतर वायुमंडलीय अवलोकन और अत्याधुनिक पूर्वानुमान प्रौद्योगिकियों के माध्यम से हासिल किया जाएगा. दरअसल, मिशन मौसम जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने और सामुदायिक लचीलेपन को मजबूत करने के लिए भारत सरकार के व्यापक प्रयास का हिस्सा है.


मिशन मौसम के उद्देश्य क्या हैं? किन सुविधाओं की है तैयारी


मिशन मौसम के मुख्य उद्देश्यों में उन्नत उपकरण पेलोड के साथ अगली पीढ़ी के रडार और उपग्रहों का विकास, उच्च प्रदर्शन वाले कंप्यूटर (एचपीसी) का उपयोग और मौसम की भविष्यवाणी के लिए एआई/एमएल-आधारित मॉडल की तैनाती शामिल है. यह पहल हाई रिज़ॉल्यूशन वाले वायुमंडलीय अवलोकनों पर ध्यान केंद्रित करेगी, जिससे मौसम पूर्वानुमान के स्थानिक और लौकिक दोनों पैमानों में सुधार होगा.


यह मिशन 50 डॉपलर मौसम रडार (डीडब्ल्यूआर), 60 रेडियो सोंडे/रेडियो विंड स्टेशन, 100 डिस्ड्रोमीटर और 10 समुद्री स्वचालित मौसम स्टेशनों सहित एक व्यापक मौसम निगरानी बुनियादी ढांचा स्थापित करेगा. यह अवलोकन और पूर्वानुमान क्षमताओं को बढ़ाने के लिए एक शहरी परीक्षण केंद्र, एक महासागर अनुसंधान स्टेशन और कई अन्य उन्नत सुविधाएं भी स्थापित करेगा.


पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने क्या- क्या बताया?


पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन के मुताबिक, मिशन मौसम देश भर में मौसम के आंकड़ों की सटीकता और उपयोगिता को बेहतर बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा. उन्होंने कहा, "मार्च 2026 तक हमारा लक्ष्य बेहतर अवलोकन के लिए रडार, विंड प्रोफाइलर और रेडियोमीटर का व्यापक नेटवर्क स्थापित करना है. इसके अलावा, भौतिकी-आधारित संख्यात्मक मॉडल और AI/ML-संचालित विधियों के संयोजन से पूर्वानुमान क्षमताओं में उल्लेखनीय सुधार होगा."


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मिलेंगी बेहतर मौसम, जलवायु और प्राकृतिक आपदा सेवाएं : MoES


जलवायु चुनौतियों का सामना करने के साथ ही मिशन मौसम क्षमता निर्माण पर भी ध्यान केंद्रित करेगा ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि समुदाय और प्रमुख क्षेत्र जलवायु चुनौतियों का सामना करने के लिए बेहतर तरीके से तैयार हैं. इसके तहत डेटा और सेवाओं के प्रसार में सुधार किया जाएगा, जिससे मौसम संबंधी कोई भी घटना बिना पता चले न रह जाए. MoES ने भरोसा दिलाया है कि मिशन मौसम बेहतर मौसम, जलवायु और प्राकृतिक आपदा सेवाएं प्रदान करेगा, जिससे विभिन्न क्षेत्रों को महत्वपूर्ण आर्थिक और सामाजिक लाभ मिलेगा.


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कौन-कौन सी एजेंसियां साथ मिलकर करेंगी काम? क्या होगा फायदा


भारतीय मौसम विभाग (IMD), राष्ट्रीय मध्यम अवधि मौसम पूर्वानुमान केंद्र (NCMRWF) और भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान इस मिशन मौसन के कार्यान्वयन का नेतृत्व करेंगे. साथ ही सफल परिणाम सुनिश्चित करने के लिए अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठाएंगे. यह पहल जलवायु संबंधी चुनौतियों के लिए भारत की तैयारी में एक बड़ा कदम है और इसका उद्देश्य सभी नागरिकों को समय पर, सटीक और सुलभ मौसम सेवाएं प्रदान करना है.


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