2जी स्पेक्ट्रम फैसला: 1.76 लाख करोड़ कहां गए?
सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के जज ओपी सैनी ने अपने फैसलों से 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में शामिल पूर्व दूरसंचार मंत्री ए.राजा और डीएमके. सांसद कनिमोझि समेत अनेक आरोपियों को बरी कर दिया है.
सीबीआई की स्पेशल कोर्ट के जज ओपी सैनी ने अपने फैसलों से 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में शामिल पूर्व दूरसंचार मंत्री ए.राजा और डीएमके. सांसद कनिमोझि समेत अनेक आरोपियों को बरी कर दिया है. जज ओपी सैनी इससे पहले लाल किला में आतंकी घटना, नाल्को घोटाला और कॉमनवेल्थ घोटाले में दोषियों को सख्त सजा दे चुके हैं, जिस कारण उन्हें 2जी मामले में विशेष जज बनाया गया. अदालत ने आरोपियों को जमानती बांड देने का आदेश दिया है, जिससे सीबीआई की ओर से मामले में अपील होने पर सभी आरोपी हाईकोर्ट के सामने पेश हो सकें. इस आदेश से देश के सभी संस्थानों की कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान खड़े हो गये हैं?
सीबीआई ने बाद में सही पैरवी क्यों नहीं की
सैनी जज के अनुसार नयी सरकार के दौर में सीबीआई के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस मामले में लापरवाही बरती. शुरू में मामले की गंभीरता को देखते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता यू.यू.ललित को सीबीआई का वकील बनाया गया था जो की बाद में सुप्रीम कोर्ट के जज बन गये. उनके बाद इस मामले में सीबीआई की एप्लीकेशन्स और कागजों पर वरिष्ठ अधिकारियों ने दस्तखत करना बंद कर दिया और कई बार सीबीआई इंस्पेक्टर ने अदालत में लिखित जवाब दायर किया. कोल स्कैम मामले में सीबीआई के हलफनामे को पीएमओ की ओर से बदलाव करने पर तत्कालीन कानून मंत्री अश्विनी कुमार की किरकिरी हुई थी, फिर 2जी घोटाले पर सीबीआई के कनिष्ट अधिकारियों से पैरवी क्यों कराई गयी?
सीएजी और विनोद राय का भावनात्मक नुक्सान बनाम जीरो लॉस थ्योरी
स्पेक्ट्रम आवंटन 2007-08 में हुआ, जिसके 3 साल बाद 2010 में सीएजी विनोद राय ने 1.76 लाख करोड़ के नुकसान की रिपोर्ट दी. ट्राइयल कोर्ट के फैसले के बाद पूर्व मंत्री कपिल सिब्बल ने सीएजी रिपोर्ट के औचित्य पर सवालिया निशान लगाया है. बीसीसीआई में अनियमिताओं के बाद सुप्रीम कोर्ट ने विनोद राय को अंतरिम अध्यक्ष नियुक्त किया है. इस फैसले के बाद क्या अब विनोद राय क्रिकेट और बीसीसीआई को भ्रष्टाचार से मुक्त करने की नैतिक शक्ति रख पायेंगे?
सुप्रीम कोर्ट की ओर से 122 लाइसेंस रद्द करने पर सवाल
2जी घोटाले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने फरवरी 2012 में 122 कंपनियों के लाइसेंस रद्द करने के साथ उन पर 5 करोड़ की पेनाल्टी भी लगाई थी. ट्राइयल कोर्ट के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर सवालिया निशान खड़े हो गये हैं.
राजनेताओं के भ्रष्टाचार के सबूत क्यों नहीं मिलते
तत्कालीन टेलिकॉम मिनिस्टर राजा की अनियमिताओं के खिलाफ पीएम मनमोहन सिंह के दफ्तर ने जनवरी 2008 में पत्र लिखकर आपत्ति व्यक्त की थी. सीबीआई के अनुसार राजा ने 13 लाइसेंस देने के लिए 200 करोड़ की रिश्वत ली. 2जी घोटाले के बाद राजा को मंत्रिमंडल से त्यागपत्र देने के बाद काफी दिन जेल में रहना पड़ा. डीएमके सांसद और करुणानिधि की बेटी कनिमोझी को जज सैनी ने जमानत देने से यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि ताकतवर राजनेता गवाह और सबूतों को प्रभावित कर सकते हैं. 2जी घोटाले में बड़े राजनेता और उद्योगपति आरोपी थे और उन सभी को क्लीन चिट मिलने से क्या सीबीआई, सरकार और न्यायिक व्यवस्था कटघरे में नहीं आ गए?
(लेखक सुप्रीम कोर्ट के वकील और दृष्टि संस्था के राष्ट्रीय निदेशक हैं)