मुझे नहीं पता आप माफी को कैसे देखते हैं. आपके लिए इसके क्‍या मायने हैं. लेकिन मैं इसे अपनी मुक्‍ति से देखता हूं, दूसरे को क्षमा करने से नहीं! बात जरा पुरानी है. हमारे एक रिश्‍तेदार से बहुत अनबन हो गई. जबकि इनसे पहले उनसे ही सबसे अधिक मित्रता थी. अनुराग, प्रेम, स्‍नेह सबकी पाठशाला, पहला पाठ वही थे. लेकिन समय की करवट से कुछ कटुता आ गई. उस समय मेरे एक दूसरे मित्र ने हमारे बीच 'पुल' बनाने का काम किया.


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उन्‍होंने मुझे यह कहते हुए तैयार किया, 'सवाल यह नहीं कि तुम्‍हारे और उनके बीच क्‍या मतभेद हैं. उससे अधिक जरूरी बात है कि दोनों में बहुत गहरा प्रेम है. उन्‍हें क्षमा कर‍के, उनसे क्षमा मांग तुम बोझ से मुक्‍त हो जाओ. उसके बाद अगर वह तुम्‍हें माफ नहीं करते,  तो यह तुम्‍हारा नहीं उनका संकट है!'


डियर जिंदगी: आत्‍महत्‍या और मन का 'रेगिस्‍तान'!


मैंने उनकी बात सुनी. उस पर अगले ही दिन अमल कर लिया. उसका असर यह हुआ कि मेरे भीतर का तनाव, बोझ मिट गया. मैं एकदम हल्‍का हो गया. मैंने जितना सोचा नहीं था, उससे कहीं अधिक आगे बढ़कर उन्‍होंने प्रेम, आत्‍मीयता से गले लगा लिया. यह ऐसा अनुभव था जिसने रिश्‍तों के बीच दूरी मिटाने की एकदम नई सोच मेरे भीतर पैदा की. एक सबक जिसने आगे चलकर न तो मन में किसी के प्रति मैल जमने दिया, न ही अतिरिक्‍त तनाव, कटुता से संबंधों में अवरोध पैदा होने दिया.


जीवन को अनचाहे तनाव, उदासी, डिप्रेशन से बचाने के लिए 'डियर जिंदगी' में हम सबसे अधिक जोर इसी बात पर बात दे रहे हैं कि हमें क्षमा करने की आदत सबसे अधिक विकसित करनी होगी. हमें यह समझने की सबसे अधिक जरूरत है कि 'दूसरे' को क्षमा करने में उसका नहीं , हमारा हित है. इससे हमारे मन का बोझ कम होता है.


डियर जिंदगी: जब मन का न हो...


दिमाग में हम एक किस्‍म का वजन, तनाव लादे भटकते रहते हैं. यह बोझ जिंदगी के दूसरे रोजमर्रा के तनाव, करियर, नौकरी के दबावों के साथ मिलकर दिमाग में वजन को बढ़ाते रहते हैं. इसलिए तनाव, उदासी, निराशा की गली की ओर हमारे पांव न मुड़ें उसके लिए बहुत जरूरी है कि हम मन की स्‍वच्‍छता पर सबसे अधिक ध्‍यान दें. मेरे मन में दूसरे के लिए कहीं कोई कुंठा तो दबी नहीं रह गई, इसकी जांच तो हमें ही करनी है. वैसे ही जैसे बुखार की कराते हैं. जैसे हीमोग्‍लोबिन, डेंगू की कराते हैं. भरोसा होता है कि आपको बीमारी नहीं है, फि‍र भी जैसे हम बचाव के लिए शरीर की जांच कराते रहते हैं, वैसे ही मन में कहीं दूसरे की माफी अटकी तो नहीं, इसकी भी जांच होते रहना जरूरी है.


डियर जिंदगी: गुस्‍से का आत्‍महत्‍या की ओर मुड़ना!


दूसरों को क्षमा करते रहने से दुख की टीस, मन में जमा मैल साफ होता रहता है. जो दूसरों की अपेक्षा हमारे सेहतमंद मन के लिए कहीं अधिक जरूरी है. किसी को माफ करने के लिए हमें उस पर निर्भर नहीं रहना. ऐसे तो हम जीवन के सूत्र दूसरों के पास गिरवी रख देंगे. माफ करने को स्‍वभाव बनाना है. यह खुद को सुखी करने का रास्‍ता है, जो हमें चुनना है.


ईमेल : dayashankar.mishra@zeemedia.esselgroup.com


पता : डियर जिंदगी (दयाशंकर मिश्र)
Zee Media,
वास्मे हाउस, प्लाट नं. 4, 
सेक्टर 16 A, फिल्म सिटी, नोएडा (यूपी)


(लेखक ज़ी न्यूज़ के डिजिटल एडिटर हैं)


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