नई दिल्ली: टीम इंडिया ने ऑस्ट्रेलिया दौरे में चार टेस्ट मैचों की सीरीज 2-1 से जीत कर इतिहास रच दिया. ऑस्ट्रेलिया में टीम इंडिया ने 72 साल में पहली बार ऑस्ट्रेलिया में सीरीज जीती है. यह सीरीज टीम इंडिया 3-1 से जीत जाती, लेकिन सिडनी में हुआ सीरीज आखिरी टेस्ट मैच टीम इंडिया बारिश के कारण जीत नहीं सकी. टीम इंडिया ने इस सीरीज का पहला टेस्ट मैच एडिलेड में जीता था. उसके बाद पर्थ टेस्ट गंवाने के बाद मेलबर्न में टीम ने 2-1 की अजेय बढ़त ली. अगर मौसम ने खिलाफत न की होती तो सीरीज का आखिरी टेस्ट भी भारत के नाम होता, लेकिन सिडनी में यह मैच ड्रॉ होने से सीरीज 2-1 टीम इंडिया के नाम हो गई. 


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इस सीरीज में टीम इंडिया की जीत के कई हीरो रहे कुछ पूरी सीरीज में छाए तो कुछ केवल एक ही मैच में. इनमें सबसे प्रमुख नाम चेतेश्वर पुजारा, कप्तान विराट कोहली, जसप्रीत बुमराह और ऋषभ पंत जैसे नाम पूरी सीरीज में छाए रहे तो मयंक अग्रवाल, हनुमा विहारी, कुलदीप यादव जैसे नाम कुछ ही मैचों में प्रभावित करते दिखे लेकिन उनका बेहतरीन प्रदर्शन था. 

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चेतेश्वर पुजारा का ऐतिहासिक प्रदर्शन
चेतेश्वर पुजारा के लिए यह सीरीज शानदार रही. उन्होंने सीरीज में तीन शतक और एक फिफ्टी सहित 74.42 के औसत से 521 रन बनाए जो सीरीज में सबसे ज्यादा रन थे. इसके अलावा पुजारा ने सीरीज में कुल 50 चौके और 2 छक्के लगाए. सीरीज में 193 रन उनका सर्वोच्च स्कोर रहा. पुजारा एडिलेड और सिडनी टेस्ट में मैन ऑफ द मैच भी रहे. ऑस्ट्रेलिया को कोई भी बल्लेबाज उनके आसपास भी नहीं दिखा. वहीं पुजारा ने खासतौर पर अपनी धैर्य वाली बल्लेबाजी से ऑस्ट्रेलियाई गेंदबाजों को  कुंठित कर दिया. 


विराट कोहली की बेहतरीन कप्तानी
विराट कोहली ने इस सीरीज में बल्ले से अपनी छवि के मुताबिक प्रदर्शन नहीं किया. इसके बाद भी वे सीरीज में एक शतक लगा गए. विराट ने सीरीज की 7 पारियों में 40.28 के औसत से 282 रन बनाए. इनमें एक शतक और एक फिफ्टी शामिल है. लेकिन इस सीरीज में विराट को उनकी बल्लेबाजी नहीं बल्कि उनकी कप्तानी के लिए ज्यादा जाना जाएगा. विराट ने सही समय पर टीम की पारियां घोषित कीं. दो बार फॉलोऑन को लेकर सही फैसले लिए. फील्ड प्लेस्मेंट, गेंदबाजों के चुनाव, यहां तक कि अगर पर्थ के अनुभव को छोड़ दें तो पिच को पढ़ने और टॉस जीतकर सही फैसले के मामले में भी वे पूरी तरह से सफल रहे. 



ऋषभ पंत की तूफानी अंदाज में बल्लेबाजी
ऋषभ पंत ने इस सीरीज में बतौर विकेटकीपर भले ही प्रभावित नहीं किया हो, लेकिन मैच दर मैच वे सुधार कर अपनी बल्लेबाजी को शानदार करते गए और सीरीज की आखिरी पारी में उन्होंने बेहतरीन 159 रनों की नाबाद पारी खेली और विरोधियों तक की तारीफें बटोर ली. उनकी तुलना एडम गिलक्रिस्ट से भी कर दी गई. पंत ने इस सीरीज में अपने कप्तान विराट कोहली से भी ज्यादा रन बनाए. पंत ने सीरीज की 7 पारियों में 58.33 के औसत से कुल 350 रन बनाए जिसमें उनकी नाबाद 159 रन की पारी भी शामिल थी. इस सीरीज में उनका स्ट्राइक रेट 73.99 रन रहा. वे ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट शतक लगाने वाले पहले भारतीय विकेटकीपर बने. इससे पहले पंत इंग्लैंड में भी शतक लगा चुके हैं.


जसप्रीत बुमराह की लाजवाब गेंदबाजी
इस सीरीज की सबसे बड़ी उपलब्धि टीम इंडिया के तेज गेंदबाज जसप्रीत बुमराह रहे. हालांकि सीरीज में भारत के लगभग सभी गेंदबाजों ने बढि़या प्रदर्शन किया और मौका पड़ने पर टीम को सही समय पर अपना योगदान दिया. लेकिन बुमराह ने भारतीय दिग्गजों सहित ऑस्ट्रेलिया के दिग्गजों को बहुत प्रभावित किया. बुमराह ने इसी सीरीज की 8 पारियों में 17.00 के शानदार औसत और 2.27 की बेहतरीन इकोनॉमी से कुल 21 विकेट लिए और एक बार वे एक पारी में पांच विकेट लेने में कामयाब रहे. बुमराह इस सीरीज में एक कैलेंडर इयर में सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले भारतीय गेंदबाज भी बने. 


मयंक अग्रवाल का शानदार डेब्यू
इस सीरीज में मयंक अग्रवाल को केवल आखिरी दो टेस्ट मैच खेलने का मौका मिला और उन्होंने आखिरी दो मैचों में टीम में अपने चयन को सही साबित किया और दोनों ही टेस्ट मैचों में टीम को शानदार शुरुआत दिलाई जो टीम इंडिया लंबे समय से मिस कर रही थी. सीरीज की तीन पारियों में उन्होंने 52.00 के स्ट्राइक रेट और 65.00 के औसत से दो हाफ सेंचुरी लगाते हुए कुल 195 रन बनाए. मयंक ने टीम इंडिया की सलामी बल्लेबाजी की जोड़ी की समस्या को हल दे दिया है. ऐसा भारत सहित ऑस्ट्रेलिया के कई दिग्गजों का मानना है. 



हनुमा विहारी की आठ रनों की पारी रही भारी
इस सीरीज में सबसे चौंकाने वाला नाम शायद हनुमा विहारी ही होगा क्योंकि विहारी का बतौर रिकॉर्ड कोई खास योगदान नहीं रहा. विहारी ने तीन मैचों की पांच पारियों में 22.20 के औसत और 33.84 के स्ट्राइक रेट से कुल 111 रन ही बनाए. लेकिन सबसे ज्यादा चर्चा और तारीफ हुई मेलबर्न टेस्ट में बतौर ओपनर खेली गई 8 रनों की पारी की. मेलबर्न टेस्ट से पहले टीम इंडिया की सलामी जो़ड़ी बुरी तरह तरह से विफल थी. मुरली विजय और केएल राहुल लंबे समय से लगातार नाकाम हो रहे थे.  जबकि फॉर्म में चल रहे पृथ्वी शॉ चोटिल होने के कारण पहले ही सीरीज से बाहर हो चुके थे. यहां पर विराट और टीम प्रबंधन ने विहारी पर विश्वास जताया और मेलबर्न में भारत के शुरुआती विकेट गिरने के सिलसिले पर रोक लगाई. विहारी ने 66 गेंदें खेलकर अपना विकेट पारी के 18वें ओवर तक पहला विकेट गिरने नहीं दिया. टीम को मिली यह मजबूती भारत की जीत का आधार बनी. 


कुलदीप यादव ने छोड़ा सिडनी में गहरा असर
कुलदीप यादव के नाम पर इस सीरीज में शुरू में तो प्लेइंग इलेवन में विचार ही नहीं हो रहा था. अश्विन के पहले टेस्ट में चोटिल होने के बाद भी टीम संतुलन के नाम पर उनकी जगह रवींद्र जडेजा को तरजीह मिली. सिडनी में जब विराट को दो स्पिनर्स की जरूरत थी और अश्विन चोट ने उबर न सके तब कुलदीप को मौका मिला जिसे उन्होंने बखूबी निभाते हुए ऑस्ट्रेलिया में अपने पहले टेस्ट में ही पांच विकेट लेने की उपलब्धि हासिल कर ली. कुलदीप धीरे धीरे टेस्ट टीम इंडिया के लिए तैयार हो जा रहे हैं जो कि इस सीरीज में दिखाई भी दिया.