कई ऐसे वर्ल्ड लेवल क्रिकेटर्स ने टीम इंडिया की शान बढ़ाई है, जिन्होंने खाक से खास तक का सफर बेहद मुश्किल से तय किया है.
इस लिस्ट की शुरुआत करेंगे टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के नाम से. माही ने अपने बल्ले का कमाल पूरी दुनिया में दिखाया और आज वो भारत के 5 सबसे अमीर खिलाड़ियों में शामिल हैं. लेकिन उनका बचपन बेहद ही साधारण परिवार में बीता. उनके पिता एक प्राइवेट नौकरी किया करते थे. वहीं धोनी ने भी अपने परिवार की आर्थिक स्थिती सुधारने के लिए कुछ वक्त के लिए टीटी की नौकरी की थी, लेकिन क्रिकेट के प्रति उनके प्यार ने उनकी जिंदगी पूरी तरह से बदल कर रख दी. धोनी ने छोटे शहर रांची की गलियों से बाहर निकलकर टीम इंडिया के सबसे सफल कप्तान तक का लंबा सफर तय किया है.
क्रिकेट की दुनिया में रविंद्र जडेजा का नाम वर्तमान समय के शानदार ऑलराउंडर्स में शुमार है. आज उनके पास नाम और शोहरत दोनों है मगर एक वो दिन भी थे जब उनका परिवार गरीबी की मार झेल रहा था. रविंद्र जडेजा के पिता एक प्राइवेट कंपनी में चौकीदार की नौकरी किया करते थे, जहां उन्हें बहुत कम सैलरी मिला करती थी, जिसमें घर चलाना बहुत मुश्किल होता था. रविंद्र जडेजा का बचपन बहुत ही गरीबी और कठिनाइयों में बीता, मगर आज उन्होंने अपनी मेहनत से टीम इंडिया में अपनी खास जगह बना ली है. आज जडेजा का नाम पूरी दुनिया में मशहूर हो चुका है.
भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व सलामी बल्लेबाज वीरेंद्र सहवाग के पास भले ही आज दौलत की भरमार हो, लेकिन हमेशा से ऐसा नहीं था. आज नजफगढ़ के नवाब कहलाने वाले वीरेंद्र सहवाग के नाम क्रिकेट में बहुत से रिकॉर्ड दर्ज हैं जिन्हें तोड़ना अच्छे-अच्छों के बस की बात नहीं है. वहीं जब भी वो मैदान पर अपना बल्ला लेकर उतरते थे तो विपक्षी टीमों के गेंदबाज सोचते थे कि कहां छिपें अब, ये तो धो डालेगा. वैसे कम ही लोग जानते हैं कि सहवाग के पिता गेहूं के व्यापारी थे और वो 50 लोगों के सामूहिक परिवार में एक ही छत के नीचे रहते थे. इतना ही नहीं सहवाग अपनी क्रिकेट प्रेक्टिस के लिए 84 किलोमीटर का सफर तय करते थे. मगर सहवाग की मेहनत खूब रंग लाई और आज हर क्रिकेट प्रेमी उनका नाम जानता है.
टीम इंडिया के बेहतरीन गेंदबाजों में से एक हरभजन सिंह का नाम भी इस लिस्ट में शामिल है. टेस्ट क्रिकेट में 417 विकेट लेने वाले भज्जी ने साल 1998 में अपने करियर की शुरुआत की थी और पहली सीरीज के बाद उन्हें 3 साल तक टीम में जगह नहीं मिली थी. इतना ही नहीं एक बार वो इतने परेशान हो गए थे कि उन्होंने कनाडा जाकर टैक्सी चलाने का फैसला भी कर लिया था, मगर भज्जी की किस्मत अच्छी थी कि साल 2001 में उनकी टीम इंडिया में वापसी हो गई.
भारतीय क्रिकेट टीम के सबसे तूफानी गेंदबाजों में से एक उमेश यादव का बचपन भी बेहद कठिनाइयों में बीता. उनके पिता एक कोयले की खदान में काम किया करते थे. जहां काम करके वो अपने परिवार के लिए दो वक्त का खाना भी बड़ी मुश्किल से जुटा पाते थे. लेकिन वो कहते हैं ना कि हुनर छिपाए नहीं छिपता, उमेश ने अपनी मेहनत से ये साबित कर दिखाया और टीम इंडिया में अपनी जगह बनाई.
ट्रेन्डिंग फोटोज़