स्कालजांग दोर्जे (Skalzang Kalyan Dorjey) जम्मू-कश्मीर की क्रिकेट टीम में शामिल होने वाले केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के पहले क्रिकेटर हैं. दोर्जे एक बौद्ध भिक्षु थे. इतना ही नहीं उन्होंने एक फिजिकल एजुकेशन टीचर की भी नौकरी की है
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नई दिल्ली: क्रिकेट एक ऐसा खेल है जहां आए दिन छोटी-मोटी जगहों से बड़े-बड़े खिलाड़ी निकल कर आते हैं. इस बात का सबसे बड़ा उदाहरण टीम इंडिया के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी (MS Dhoni) हैं. इसी तरह जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) की टीम में भी ऐसी ही छोटी जगह से एक खिलाड़ी सामने आया है. ये खिलाड़ी लद्दाख का है और इसका नाम स्कालजांग दोर्जे (Skalzang Kalyan Dorjey) है. बड़ी बात ये है कि ये खिलाड़ी जम्मू-कश्मीर की क्रिकेट टीम में शामिल होने वाले केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के पहले क्रिकेटर हैं.
स्कालजांग दोर्जे (Skalzang Kalyan Dorjey) ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में अपने जीवन के कई बड़े राज खोले हैं. दोर्जे एक क्रिकेटर होने से पहले एक बौद्ध भिक्षु थे. इतना ही नहीं उन्होंने एक फिजिकल एजुकेशन टीचर की भी नौकरी की है और तो और वे पर्वतारोहियों को प्रशिक्षण देने के अलावा खेल का सामान बेचने वाले एक आउटलेट में मैनेजर की नौकरी भी कर चुके हैं. इससे इस बात का अंदाजा लगाया जा सकता है कि अपने जीवन में काफी सारे काम करने के बाद भी दोर्जे का क्रिकेट को लेकर जुनून कम नहीं हुआ है.
दोर्जे (Skalzang Kalyan Dorjey) ने आगे ये भी बताया कि उनके जीवन में एक समय ऐसा भी था जब वो बकरियां चराया करते थे और अब वो घरेलू क्रिकेट खेलने वाले लद्दाख के पहले खिलाड़ी हैं. इस खिलाड़ी ने आगे बताया कि इस साल की शुरुआत मैं सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में वो जम्मू-कश्मीर की ओर से खेले और अगर कोरोना के कारण इस साल का रणजी सीजन रद्द नहीं होता तो वो फर्स्ट क्लास क्रिकेट खेलने वाले पहले लद्दाखी भी बन जाते.
दोर्जे (Skalzang Kalyan Dorjey) ने आगे बताया कि उन्होंने 1999 में 10 साल की उम्र में क्रिकेट खेलना शुरू किया. उनके एक अंकल जो बेंगलुरु की महाबोधि सोसाइटी में रहते थे, वे उन्हें 1999 वर्ल्ड कप के दौरान उन्हें अपने साथ ले गए हैं. इसी बीच उन्होंने अपने साथ के बच्चों के साथ उन्होंने क्रिकेट खेलना शुरू किया. कुछ साल बाद वो मैसूर चले गए. वहां उन्होंने फिजिकल एजुकेशन से बैचलर डिग्री पूरी की. इसके बाद वहीं के एक स्कूल में खेल शिक्षक के तौर पर काम करने लगे. 2011 में उन्होंने क्रिकेट खेलना छोड़ दिया और खेल शिक्षक के साथ ट्रैकिंग कैंप मैनेजर के रूप में उन्होंने काम किया.
दोर्जे (Skalzang Kalyan Dorjey) ने लद्दाक के एक लोकल टूर्नामेंट में काफी नाम कमाया था. इस टूर्नामेंट में वो कई बार प्लेयर ऑफ दा मैच भी चुने गए. इनाम के तौर पर उन्हें फ्रीज, कूलर, वॉशिंग मशीन जैसी चीज मिलीं. दोर्जे का सपना है कि वो घरेलु क्रिकेट खेल अपना नाम बनाए. दोर्जे ने कहा कि वो आज भी ये बात नहीं भूले हैं जब जम्मू-कश्मीर (Jammu-Kashmir) के कप्तान परवेज रसूल ने उन्हें डेब्यू कैप सौंपी और कहा कि आप जम्मू-कश्मीर के लिए खेलने वाले पहले लद्दाखी क्रिकेटर हो.