नई दिल्ली: 1977 में जब भारतीय क्रिकेट टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मेलबर्न में तीसरा टेस्ट खेलने उतरी तो वह सीरीज में 0-2 से पिछड़ रही थी. पांच मैचों की सीरीज में अपनी संभावनाएं जीवित रखने के लिए भारत को यह मैच जीतना जरूरी था. लेकिन ऑस्ट्रेलिया में जीत? यह तो असंभव सी बात थी. जाहिर है इस असंभव को संभव करने के लिए कुछ अलग करने की जरूरत थी और बिशन सिंह बेदी की टीम ने ऐसे बहुत कुछ अलग और दिलचस्प प्रयोग किए, जिसने ऑस्ट्रेलिया में भारत की जीत का सूखा खत्म किया. इन प्रयोगों में सुनील गावस्कर से नई गेंद से शुरुआत कराना भी शामिल था. यूं खेला गया था मैच... 


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भारत के दोनों ओपनर 0 पर लौटे 
बिशन सिंह बेदी ने तेज गेंदबाजों की मददगार पिच पर टॉस जीतकर पहले बैटिंग की. उसकी शुरुआत बेहद खराब रही. सुनील गावस्कर और चेतन चौहान बिन खाता खोले लौटे. लेकिन मोहिंदर अमरनाथ (72) और गुंडप्पा विश्वनाथ (59) ने 105 रन की साझेदारी कर टीम की वापसी करा दी. अशोक मांकड़ (44), दिलीप वेंगसरकर (37) और सैयद किरमानी (29) ने भी अच्छी पारियां खेलीं और भारत पहली पारी में 256 रन बनाने में कामयाब रहा. 


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घावरी-गावसकर ने संभाली नई गेंद 
भारतीय टीम में सिर्फ एक तेज गेंदबाज करसन घावरी थे. उन्हें मदन लाल की जगह टीम में शामिल किया गया था. पहले दो मैचों में मदन लाल के साथ मोहिंदर अमरनाथ ने नई गेंद साझा की थी. लेकिन इस मैच में कप्तान बेदी ने मदन लाल को ड्रॉप ही नहीं किया, बल्कि नई गेंद के उनके जोड़ीदार मोहिंदर अमरनाथ को भी शुरुआती ओवरों में गेंदबाजी नहीं कराई. उन्होंने इसकी बजाय करसन के साथ सुनील गावस्कर को नई गेंद सौंपी. हालांकि, गावस्कर ने कोई विकेट नहीं लिया, लेकिन भारतीय गेंदबाजों ने ऑस्ट्रेलिया को 213 रन पर समेट दिया. लेग स्पिनर भगवत चंद्रशेखर ने छह और बिशन सिंह बेदी और करसन घावरी को दो-दो विकेट लिए. 


गावस्कर का दूसरी पारी में शतक 
सुनील गावस्कर ने पहली पारी में शून्य पर आउट होने का बदला दूसरी पारी में लिया. उन्होंने 118 रन की शानदार पारी खेली. गुंडप्पा विश्वनाथ ने 54 और मोहिंदर अमरनाथ ने 41 रन बनाए. इसकी बदौलत भारत ने दूसरी पारी में 343 रन का स्कोर बनाया. उसे पहली पारी में भी 43 रन की बढ़त मिली थी. इस तरह ऑस्ट्रेलिया को 387 रन का लक्ष्य मिला. भारतीय स्पिनरों चंद्रा और बेदी के सामने ऑस्ट्रेलिया की टीम के लिए यह लक्ष्य बहुत बड़ा साबित हुआ और वह सिर्फ 164 रन पर सिमट गई. पहली पारी में छह विकेट लेने वाले चंद्रा ने एक बार फिर छह विकेट लिए. बेदी के हिस्से में चार विकेट आए. 

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30 साल बाद मिली पहली जीत 
भारत को ऑस्ट्रेलिया में पहली जीत के लिए 30 साल और 12 मैच का इंतजार करना पड़ा. भारत ने इससे पहले ऑस्ट्रेलिया में 11 मैच खेले थे, जिनमें से उसे 10 में हार का सामना करना पड़ा था. भारतीय टीम 1947-48 में 5 मैचों की सीरीज 0-4 से हार गई थी. इसके बाद 1967-68 में ऑस्ट्रेलिया ने 4 मैचों की सीरीज में 4-0 से व्हाइटवॉश किया था. 1977-78 की सीरीज में भी उसने पहले दो मैच जीत लिए थे, लेकिन भारत ने तीसरा मैच जीतकर सीरीज में वापसी कर ली थी.