Mir Sultan Khan: चेस के कई दिग्गज ऐसे रहे हैं जिनका नाम शायद ही आप जानते हों. दशकों बाद अब ऐसे ही एक खिलाड़ी का नाम सामने आया है जिसे FIDE(इंटरनेशनल चेस फेडरेशन) ने शतरंज के ग्रैंडमास्टर की उपाधि से सम्मानित किया है. बता दें कि इस दिग्गज को शतरंज का जिनियस कहा जाता था.
शतरंज के महान खिलाड़ी मीर सुल्तान खान को FIDE(इंटरनेशनल चेस फेडरेशन) के अध्यक्ष अर्कडी ड्वोरकोविच द्वारा ग्रैंडमास्टर की उपाधि से सम्मानित किया गया है. वह अपने समय के सर्वश्रेष्ठ एशियाई शतरंज खिलाड़ी के रूप में जाने जाते हैं. FIDE द्वारा सम्मानित करने के साथ ही मीर सुल्तान पाकिस्तान के पहले ग्रैंडमास्टर बन गए. FIDE के अनुसार, भले ही वह बंटवारे से पहले भारत में खेलते थे.
मीर सुल्तान खान का जन्म 1903 में पंजाब के खुशाब जिले के मीठा तिवाना में हुआ था. यह जगह बंटवारे के बाद पाकिस्तान की सीमा में आती है. मीर सुल्तान का जन्म जमीदारों के परिवार में हुआ. कहा जाता है कि उन्हें बचपन से ही चेस में दिलचस्पी थी. वह बचपन में वो अपने भाइयों के साथ चेस खेला करते थे. वहीं, इस खेल के दांव-पेच उनके पिता मियां निज़ाम दीन ने सिखाए थे. बचपन की इस जज्बे और लगन ने उन्हें एशिया का पहला ग्रैंडमास्टर बनाया.
21 साल की उम्र में वो पंजाब के सर्वश्रेष्ठ चेस प्लेयर के रूप में जाने गए. उनका खेल देख अमीर जमींदार सर उमर तिवाना काफी प्रभावित हुए. ट्रेनिंग के दौरान ही उन्होंने 1928 में आयोजित हुए ‘ऑल इंडिया चेस चैंपियनशिप’ में शानदार प्रदर्शन के साथ जीत दर्ज की. इसके अगले साल ही सर उमर, सुल्तान को सीधे लंदन ले गए और इंपीरियल चेस क्लब का सदस्य बना दिया.
मीर सुल्तान ने इंग्लैंड में आयोजित हुए ब्रिटिश चेस चैंपियनशिप में भी जीत दर्ज की. इस ऐतिहासिक जीत के बाद उन्हें यूके और यूरोप से खेलने का न्योता मिला. 1930 में यूरोप जाने से पहले उन्होंने भारत आने का फैसला किया. इसके बाद वो यूरोप चले गए. उन्होंने यूरोप में कई टूर्नामेंट में भाग लिया. वहीं, 1930 में उन्होंने इंग्लैंड में 11th Hastings Christmas Chess Festival में सबसे बड़े प्रतिद्वंदी और उस समय के चैंपियन Jose Raul Capablanca को हराकर जीत हासिल की.
पूर्व चेस चैंपियन Jose Raul Capablanca ने कई साल बाद मीर सुल्तान को लेकर कहा था, “वो शतरंज के जीनियस हैं. वो चैंपियन बनने में सफल रहे.' मीर सुल्तान ने चेस में वो महारथ हासिल कर ली थी कि उन्होंने पोलिश-फ्रांसीसी चेस मास्टर सेविली टार्टाकॉवर को भी हरा दिया था. इसके अलावा, उन्होंने प्राग इंटरनेशनल टीम टूर्नामेंट में सालो फ्लोहर और पोलिश शतरंज मास्टर अकीबा रुबिनस्टीन जैसे दिग्गजों को भी हराया था. एक मैच में उन्होंने उस समय के वर्ल्ड चैंपियन प्लेयर से ड्रॉ भी खेला था.
माना जाता है कि मीर सुल्तान 1940 तक चेस खेलते रहे. इसके बाद ब्रिटेन से आने के बाद मुंबई में मैच भी खेला था. भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद मीर ने पाकिस्तान में रहने का फैसला किया. पाकिस्तान में वो अपनी पत्नी और बेटों के साथ रहते थे. 1966 में मीर का 'ट्यूबरक्लोसिस' नाम बीमारी के चलते निधन हो गया था.
FIDE ने एक बयान जारी करते हुए कहा, 'एक पंजाबी चेस खिलाड़ी और पाकिस्तान के नागरिक, उन्हें एशिया से अपने समय का सबसे मजबूत शतरंज मास्टर माना जाता है. पांच साल से कम के इंटरनेशनल शतरंज करियर में उन्होंने तीन बार ब्रिटिश चैंपियनशिप जीती. मीर सुल्तान खान, पहले पाकिस्तानी ग्रैंडमास्टर बने. मीर ने चेस के बारे में कम जानकारी रखने के बावजूद दुनिया के कुछ टॉप प्लेयर्स को हराया.'
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