Gold: क्या सोना खरीदने का यह सही समय है? सोना आपके निवेश पोर्टफोलियो में विविधता लाने में मदद करता है, जो रिटर्न बढ़ाने के अलावा अस्थिरता को कम करता है और नुकसान को सीमित करता है. वित्तीय सलाहकार निवेश पोर्टफोलियो का एक हिस्सा सोने में रखने की सलाह देते हैं, क्योंकि यह इक्विटी में गिरावट के दौरान होने वाले नुकसान को कम करता है. विशेषज्ञों का कहना है कि डॉलर के मुकाबले रुपये में इस समय कमजोरी के संकेत दिख रहे हैं और भारत में त्योहारी सीजन नजदीक है, ऐसे में निवेशकों को सोने में पॉजिटिव रुख का फायदा उठाने पर विचार करना चाहिए.


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गोल्ड
भारत में मजबूत त्योहारी मांग सोने की कीमतों को स्थिर बनाए रखने के लिए तैयार है. आने वाले कुछ ही महीनों में भारत में दिवाली का त्योहार धूमधाम से मनाया जाएगा. धनतेरस और दिवाली के मौके पर लोग सोने में ज्यादा खरीदारी करते हैं. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है कि अगर धनतेरस से पहले सोने में निवेश के इच्छुक निवेशकों को अगर 58,500 रुपये और 57,000 रुपये के मौजूदा स्तर के बीच कहीं भाव मिलता है तो सोने में निवेश किया जा सकता है.


सोने के दाम
बुधवार 23 अगस्त को भारत में 24 कैरेट सोने की कीमत 100 रुपये बढ़कर 59,230 रुपये प्रति 10 ग्राम हो गई, जो मंगलवार को 59,130 रुपये थी. पिछले सप्ताह रुपया डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर 83.1 पर पहुंच गया. इस सप्ताह मंगलवार को रुपया अपने सर्वकालिक निचले स्तर से उबर गया और अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 14 पैसे बढ़कर 82.99 पर बंद हुआ. कमजोर रुपये से सोने की कीमतें बढ़ती है. वहीं भारत दुनिया के सबसे बड़े सोने के उपभोक्ताओं में से एक है.


कीमतें स्थिर रहने की उम्मीद
विशेषज्ञों के मुताबिक वैश्विक केंद्रीय बैंकों के जरिए सोना खरीदने की मौजूदा प्रवृत्ति और अनिश्चित वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को देखते हुए, सोने की कीमतें स्थिर रहने की उम्मीद है, मजबूत डॉलर और ऊंची ब्याज दरों के प्रभाव के कारण इसमें उल्लेखनीय वृद्धि नहीं होगी. हालांकि, चीजें तेजी से बदल भी सकती है. जिस पल अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपनी दरों में बढ़ोतरी को रोकने या यहां तक कि ब्याज दर में कटौती की संभावना का संकेत देता है तो सोने की कीमतें बढ़ने की संभावना है.


त्योहारी सीजन
इन कारकों को ध्यान में रखते हुए निवेशक सोने के लिए एक आशावादी दृष्टिकोण पेश कर सकते हैं और वर्ष के अंत तक 61,000 रुपये से 62,000 रुपये के बीच सोने की कीमत की उम्मीद कर सकते हैं. साथ ही यह एक रणनीतिक कदम है जो कमजोर होते रुपये और भारत में त्योहारी सीजन की पारंपरिक उछाल दोनों के अनुरूप है.


सोने के दाम इतने हुए तेज
बता दें कि जुलाई 2018 से पिछले 5 सालों में सोना 99 फीसदी उछल चुका है. दूसरी ओर इस अवधि के दौरान सेंसेक्स केवल 77 प्रतिशत बढ़ा है. इस अवधि के दौरान रुपया 2017 के 63 प्रति डॉलर से 31 प्रतिशत गिरकर 82 प्रति डॉलर पर आ गया. सेंसेक्स के मुकाबले सोने के बेहतर प्रदर्शन का कारण कमजोर आर्थिक संभावनाएं, महामारी के दौरान आपूर्ति श्रृंखला की अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव, केंद्रीय बैंकों के जरिए भंडार बढ़ाने के लिए सोना खरीदना और डॉलर की अनिश्चितता थी. बाजार में अभी भी अनिश्चितता बनी हुई है. आर्थिक संकेतक बताते हैं कि चीन कमजोर हो रहा है. यह सोने की कीमतों के पक्ष में है.