Kadar Khan: कादर खान ने 300 से ज्यादा फिल्मों में काम किया. करीब 250 फिल्में लिखीं. एक्टर के रूप में उन्होंने विलेन के किरदारों में पहचान बनाई लेकिन फिर उस पहचान को तोड़ कर आगे कॉमेडियन के रूप में जमे. उनकी कॉमेडी आज भी याद की जाती है. मगर क्यों उन्हें यह चेंज करना पड़ा, जानिए...
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Sridevi Films: फिल्मों में डायलॉग राइटर के तौर पर करियर शुरू करने वाले कादर खान को फिल्म दाग (1973) में यश चोपड़ा (Yash Chopra) ने पर्दे पर एक्टिंग का पहला मौका दिया था. इससे पहले कादर खान रंगमंच पर अभिनय किया करते थे. कादर को फिल्मों में शुरुआती पहचान विलेन के रूप में मिली और उन्होंने आगे चलकर खलनायकी में खुद को जमा लिया. परंतु करीब एक दशक बाद उन्होंने ट्रेक बदला और वह विलेन से कॉमेडियन बन गए. इसकी वजह उन्होंने खुद बाद में बताई. कादर खान के इस बदलाव के पीछे कारण था, उनका बड़ा बेटा कुदूस.
मार-पीट और सिर फुटव्वल
कादर खान ने बताया कि कुदूस अक्सर खेल के बाद अपने सारे कपड़े फाड़कर घर आता था. बच्चों के बीच खेल-खेल में झगड़ा होता था और बात आती थी कादर खान पर. बच्चे कादर खान के बेटे को चिढ़ाते थे कि तुम्हारे पिता लोगों को फिल्म में भले ही पीटते हैं लेकिन अंत में तो हीरो उन्हें खूब पीटता है. बेटा इस पर गुस्सा होकर झगड़े पर उतारू हो जाता था. एक दिन जब वह लौटा, तो इसी मारपीट में उसके सिर में चोट लगी थी. बेटे की यह हालत देखकर कादर खान बहुत परेशान हो गए और उन्होंने फैसला किया कि मैं अब खलनायक के रोल नहीं करूंगा. उन्हीं दिनों जितेंद्र-श्रीदेवी (Sridevi) की फिल्म हिम्मतवाला (1983) बन रही थी. फिल्म के डायलॉग कादर खान ही लिख रहे थे. संयोग से उन्हें फिल्म में कॉमेडियन का रोल निभाने का मौका मिल गया.
मुनीम का कैरेक्टर
हालांकि इसकी भी ठोस वजह थी. कादर खान स्क्रिप्ट और डॉयलॉग लिखने के बाद ऑडियो टेप पर रिकॉर्ड करते थे और कैसेट निर्देशक को भेजते थे. जिससे डायरेक्टर को पता चल जाता था कि एक्टर से किस अंदाज में संवाद बुलवाने हैं. हिम्मतवाला के निर्देशक के. राघवेंद्र राव के पास भी उन्होंने हिम्मतवाला के डायलॉग्स का ऑडियो कैसेट भेजा था. जिसे सुनने के बाद निर्देशक ने उन्हें हवाई जहाज से हैदराबाद (Hyderabad) बुलवाया और कहा कि आपने मुनीम का कैरेक्टर और डायलॉग जिस अंदाज में लिखें हैं, उन्हें वह एक्टर नहीं कर सकता, जिसे हमने इस रोल के लिए चुना है. तब निर्माता जी.ए. शेषगिरी राव ने कादर खान से बात की और दोनों मिलकर तय किया कि कादर खान को ही मुनीम की भूमिका निभानी होगी.
चल पड़ी जोड़ी
हिम्मतवाला 1983 में जबर्दस्त हिट रही और कादर खान का रोल इतना पसंद किया गया कि वह कॉमेडियन के रूप में चल पड़े. फिल्म में शक्ति कपूर (Shakti Kapoor) उनके बेटे बने थे. वह भी कॉमिक रोल में. हिम्मतवाला के बाद बॉलीवुड में कॉमेडियन पिता-पुत्र के रूप में यह जोड़ी चल पड़ी. 1980-90 के दशक की कई फिल्में बाद में कादर खान और शक्ति कपूर की कॉमेडी टाइमिंग के लिए जानी गईं. हालांकि इससे पहले दोनों ने 1980 में लूटमार और कुर्बानी में काम किया था लेकिन उसमें उनका पिता और पुत्र का कॉमेडी ट्रैक नहीं था.