संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) के न्यू जर्सी (New Jersey) में स्थित अक्षरधाम मंदिर के चर्चे तो संपूर्ण विश्व में है. ये अक्षरधाम मंदिर (Akshardham Mandir) परिसर करीब 160 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है. इसके निर्माण में यूज किये गए पत्थरों को यूरोप से मंगवाया गया था. उसके बाद इन्हें राजस्थान में हाथों से तराशकर तैयार किया गया था. ये मंदिर चार मंजिला है जिसमें भारतीय धरोहर, इतिहास और संस्कृति की प्रदर्शनी लगाई गई है.
कंबोडिया (Cambodia) स्थित ये विष्णु मंदिर विश्व का सबसे बड़ा धार्मिक स्थल है. ये मंदिर 400 एकड़ में फैला हुआ है. इस विशाल मंदिर का निर्माण खमेर साम्राज्य के राजा सूर्यवर्मा द्वितीय (Raja Suryaverma Second) ने (1049-66 ई.) करवाया था. अब यह एक विश्व विरासत स्थल बन चुका है. कंबाेडिया के राष्ट्रीय ध्वज में भी अंकोरवाट को स्थान दिया गया है. मंदिर की बनावट और कलकारी अद्भुत है.
विदेशी मंदिरों में मलेशिया के क्वालालंपुर (Kuala Lumpur, Malaysia) के पास स्थित यह मंदिर भगवान मुरुगन यानी कार्तिकेय को समर्पित है. यह मंदिर चूना पत्थर के पहाड़ों के बीच स्थित है. इस गुफा मंदिर तक पहुंचने के लिए 272 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती है. मंदिर का मुख्य आकर्षण इसके द्वार पर प्रभु मुरुगन की 140 फीट ऊंची भव्य प्रतिमा है. यहां विशेष रूप से दक्षिण भारत के कई श्रद्धालु इस मंदिर के दर्शन करने जाते हैं.
माता रानी के 52 शक्तिपीठों में से एक यह मंदिर बांग्लादेश (Bangaladesh Dhakeshwari Temple) में स्थित है. कहते हैं कि 12 वीं शताब्दी में सेन राजा बल्लाल सेन ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था. मान्यता के अनुसार यहां देवी सती के आभूषण गिरे थे. ढाकेश्वरी देवी के नाम पर ही बांग्लादेश की राजधानी का नाम भी ढाका रखा गया. बांग्लादेश में यह मंदिर हिंदुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है क्योंकि माता रानी का ये मंदिर चमत्कारी मंदिर है.
त्रिनिदाद और टोबैगो (Trinidad and Tobago) में दत्तात्रेय मंदिर द्रविड़ शैली का एक बेहतरीन उदाहरण है. यहां हनुमान जी की 85 फीट ऊंची विशाल प्रतिमा आकर्षण का केंद्र है। मंदिर के प्रांगण में एक योग केंद्र भी चलाया जाता है. इस योग केंद्र की स्थापना 1986 में हुआ था और इस मंदिर का निर्माण 2003 में पूरा हुआ. त्रिनिदाद और टोबैगो में सनातन संस्कृति का खूब संरक्षण किया जा रहा है.
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