चंचल, नटखट, हंसमुख, दुलारा। शाही लिबास में नन्हा राजकुमार सरीखा । 12 साल का भव्य शाह। सूरत के करोड़पति हीरा कारोबारी का बेटा जो फरारी की सवारी करता है । महंगी कारों का शौक रखता है । महंगे परफ्यूम, इंपोर्टेड गौगल्स भी उसे खूब भाता है लेकिन ये कारें, ये ऐश-ओ-आराम, ये साजो-सामान, ये घर, ये परिवार, ये मायावी संसार अब इस बच्चे का अतीत है । भव्य ने खुद का भविष्य जो तय किया है उसकी झलक ये है । झूमता, नाचता, अक्षत बरसाता ये बच्चा संन्यास की राह पर चल पड़ा है । जैन मुनियों के बीच,हजारों लोगों की मौजूदगी में भव्य शाह ने जैन भिक्षु की दीक्षा ले ली । मुमुक्ष भव्यसागर बन गया भव्य शाह । सूरत के उमरा जैन संघ में विधि-विधान से भव्य जैन संन्यासी बना । भव्य का संसार जहां का तहां रह गया । मां-पिता-भाई-बहन सबको त्याग कर संन्यास की डगर पर चला पड़ा है भव्य। उसे माया मोह से विरक्ति पर लेश मात्र मलाल नहीं है। रिश्तों के बंधन तोड़, हर सुख से मुह मोड़, अकूत दौलत छोड़ भव्य ने ये राह चुनी । दुनिया की सबसे महंगी कार फरारी की सवारी कौन नहीं करना चाहेगा । करोड़ों की दौलत से ऐश-ओ-आराम भला कौन नहीं करना चाहेगा । लेकिन 12 साल के भव्य शाह ने फरारी की सवारी का मोह छोड़ फकीरी करने की ठान ली । अपने माता-पिता की अकूत संपत्ति और हीरे का जमा जमाया कारोबार छोड़ कर भव्य ने संन्यास अपनाया । कभी कार रेसर बनने का ख्वाब रखने वाले भव्य धार्मिक हो गया । वो भी अचानक । ऐसा कैसे हुआ, क्यों हुआ, 12 साल के बच्चे की जिंदगी एकाएक कैसे बदल गई । 12 साल का बच्चा ईश्वर के बताए सच्चे रास्ते पर क्यों चल पड़ा । कच्ची उम्र में एक बच्चा मोक्षमार्ग की बातें क्यों करने लगा । ये आपको बताएं उससे पहले भव्य शाह की वो दुनिया देखिए जहां का राजकुमार है वो। ये तस्वीरें बीते मार्च महीने की हैं । भव्य शाह ने तब संन्यासी बनने का ऐलान किया था । सुनहरी पगड़ी, नीले लिबास में वो घर से निकला था। हाथों में नारियल लिए भव्य के साथ मां पिकाबेन शाह चल रही थीं । मां-पिता के साथ घर में भव्य का वो आखिर दिन था । अपने लाडले को विदा कर रहा शाह परिवार बेहद भावुक था । मां गाल चूम रही थीं । पिता दुलार जता रहे थे । भव्य मुस्कुरा रहा था । 24 मार्च को भव्य शाह की शानदार तरीके से फरारी गाड़ी में शोभा यात्रा निकाली गई। इस शोभायात्रा में भव्य ने फरारी की सवारी की ख्वाहिश जताई। सूरत की सड़कों पर गाजे-बाजे के साथ धूम से निकली शोभायात्रा में ये लाल फरारी भव्य के लिए खास तौर पर लाई गई थी। फरारी पर सवार होकर भव्य की खुशी का ठिकाना नहीं था। भव्य के पापा के दोस्त ने ये फरारी कार उसके लिए भेजी थी । घर से निकल भव्य गुरु की शरण में जा पहुंचा। यहां पूजा अर्चना के बाद उसने अपनी इच्छा जाहिर कर दी । जिसके बाद जैन मुनियों ने उसकी दीक्षा की प्रक्रिया शुरू कर दी। भव्य की ख्वाहिश पूरी हुई तो उसने गाजे-बाजे पर जमकर डांस भी किया था । भव्य का जश्न, उसकी खुशी, उसके अरमानों का अगला पड़ाव क्या था ।कैसे-कैसे कठिन डगर पर चलकर दीक्षा तक पहुंचा 12 साल का मासूम। क्या है भव्य के संन्यास लेने का राज बताएंगे बने रहिए हमारे साथ