नई दिल्ली: कोरोना वैक्सीन (Corona Vaccine) सर्टिफिकेट पर ब्रिटेन (Britain) के रुख के खिलाफ भारत ने जो कदम उठाया है, उससे बोरिस जॉनसन सरकार सकते में आ गई है. भारत (India) में ब्रिटिश उच्चायोग के प्रवक्ता का अब कहना है कि हम भारतीय कोरोना वैक्सीन सर्टिफिकेट को मान्यता देने के लिए मोदी सरकार को तकनीकी सहयोग जारी रखेंगे. दरअसल, ब्रिटेन के मिजाज में यह बदलाव भारत के सख्त कदम की वजह से आया है, जिसके तहत यूके से आने वालों के लिए 10 दिनों का क्वारंटीन अनिवार्य किया गया है.


India ने पहले भी दी थी चेतावनी


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ब्रिटेन ने भारत के कोरोना वैक्सीन सर्टिफिकेट को अब तक मान्यता नहीं दी है, जिस पर जवाबी कार्रवाई करते हुए मोदी सरकार ने ऐलान किया है कि ब्रिटेन से आने वालों को भारत में 10 दिनों तक क्वारंटीन में रहना होगा. इससे पहले, ब्रिटेन ने भारत में लगने वाली कोविशील्ड कोरोना वैक्सीन को मंजूरी प्राप्त टीकों से बाहर रखा था, जिस पर भारत ने उसे कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी थी. इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने वैक्सीन को तो मंजूरी दे दी, लेकिन तकनीकी पेच फंसाते हुए सर्टिफिकेट पर सवाल उठा दिया.



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RTPCR टेस्ट रिपोर्ट अनिवार्य


भारत ने ब्रिटेन को सख्त संदेश देते हुए स्पष्ट किया है कि यात्री को कोरोना वैक्सीन के दोनों टीके लग चुके हों, लेकिन उसे आइसोलेशन में रहना होगा. इसके अलावा भारत आने के लिए भी कुछ नियम तय किए गए हैं. ब्रिटेन से आने वाले यात्रियों के लिए यह जरूरी होगा कि सफर से 72 घंटे पहले तक के कोरोना आरटीपीसीआर टेस्ट की रिपोर्ट उनके पास हो.


UK ने डाला था रेड लिस्ट में


बता दें कि ब्रिटेन ने अप्रैल में भारत से आने वाले यात्रियों के लिए ‘रेड लिस्ट’ कोविड-19 यात्रा प्रतिबंध शुरू किया था. इन प्रतिबंधों के तहत लोगों के भारत से ब्रिटेन आने पर रोक थी और भारत से अपने देश लौट रहे ब्रिटिश तथा आयरिश नागरिकों के लिए होटल में दस दिन तक पृथक-वास में रहना अनिवार्य था. हालांकि बाद में जब भारत ने सख्ती दिखाई तो ब्रिटेन ने अपने यात्रा प्रतिबंधों में ढील का ऐलान करते हुए भारत को रेड से अंबर सूची में डाल दिया. इसके तहत भारत में टीका लगवाने वाले यात्री अब अपने घर या पसंद की किसी भी जगह पर दस दिन क्वारनटीन रह सकेंगे.