सितंबर से हांगकांग में बनने वाले उत्पादों पर लगेगी Made in China की मुहर
इस कानून के हांगकांग में लागू करने का असर ये हुआ कि अमेरिका ने इस पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश का स्पेशल स्टेट्स खत्म कर दिया. ये तब हुआ जब पहले से ही दोनों देशों के बीच रिश्तों में पहले ही तनाव बना हुआ था.
नई दिल्ली: चीन और अमेरिका के बीच पहले से ही चले आ रहे झगड़े में अब एक नई बात हुई है. मंगलवार को अमेरिकी सरकार के एक नोटिस के मुताबिक, 25 सितम्बर से हांगकांग में बनने वाली सारी वस्तुएं जो अमेरिका निर्यात करने के मकसद से बनाई गई हैं, उन सभी पर Made in Hong Kong के बजाय Made in China का लेबल चिपकाया जाएगा.
ये फैसला तब हुआ है, जब हांगकांग में चीन के विवादित नेशनल सिक्योरिटी लॉ लागू करने से दोनों देशों के बीच माहौल तनावपूर्ण हो गया है. इस कानून को ‘एक देश दो व्यवस्था’ के उस सिद्धांत की अवहेलना के तौर पर देखा जा रहा है, जिसके आधार पर ब्रिटेन ने चीन को हांगकांग लौटाया था.
इस कानून के हांगकांग में लागू करने का असर ये हुआ कि अमेरिका ने इस पूर्व ब्रिटिश उपनिवेश का स्पेशल स्टेट्स खत्म कर दिया. ये तब हुआ जब पहले से ही दोनों देशों के बीच रिश्तों में पहले ही तनाव बना हुआ था और अमेरिका कोविड-19 से निपटने को लेकर चीन की कड़ी आलोचना में जुटा हुआ था.
इस कदम के बाद, अमेरिकी सीमा शुल्क विभाग औऱ सीमा सुरक्षा नोटिस के मुताबिक हांगकांग की कंपनियां भी उसी ‘वॉर टैरिफ’ का भुगतान करेंगी, जोकि चीन की कंपनियों पर लगाया जाता है. अब से 45 दिन के बाद सभी सामान ‘जो हांगकांग से अमेरिका आएंगी, उन सभी पर मेड इन चाइना का मार्क’ लगा होगा.
इससे पहले राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के मद्देनजर अमेरिका ने निर्धारित किया था कि, ‘हांगकांग लम्बे समय तक चीन के संबंध में अलग दर्जा प्राप्त करने के मामले में पर्याप्त रुप से स्वायत्त नहीं रहेगा’. अमेरिका में आने वाले चुनावों को जीतने के लिए ट्रम्प ने चीन पर कई मोर्चों से हमला बोल दिया है.
शुक्रवार को अमेरिका ने हांगकांग लीडर कैरी लाम सहित 10 चीनी राजनयिकों पर कई तरह के प्रतिबंध थोप दिए थे. शहर के वर्तमान और पूर्व पुलिस प्रमुखों को राजनैतिक स्वतंत्रता को कुचलने के लिए उन पर भी प्रतिबंध लगा दिए गए.
जवाबी कार्रवाई में चीन ने भी रिपब्लिकन पार्टी के सासंदों सहित 11 अमेरिका नागरिकों पर प्रतिबंध लगा दिया है. सोमवार को यूएस वित्त विभाग के सचिन स्टीवन नुचिन ने कहा कि चीन और बाकी देशों की वो कंपनियां जो अमेरिकी लेखांकन मानकों का पालन करने में विफल रहती हैं तो 2021 के अंत से शुरू होने वाले यूएस स्टॉक एक्सचेंज से हटा दिया जाएगा.
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