America ने रोकी फिलिस्तीन की UN सदस्यता, 2011 में भी अर्जी हुई थी रिजेक्ट, जानें पूरा मामला
United Nations : फिलिस्तीन को संयुक्त राष्ट्र (UN) की सदस्यता के प्रपोजल पर अमेरिका ने वीटो लगा दिया. बताया जा रहा है, कि अमेरिकी नामंजूरी ने फिलिस्तीन को एक बार फिर पक्की सदस्यता से दूर कर दिया है.
United States of america : संयुक्त राज्य अमेरिका ने गुरुवार (18 अप्रैल) को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ( UN Security Council ) में वीटो करके उस प्रस्ताव को रोक दिया, जिसमें फिलिस्तीनी राज्य को विश्व निकाय में सदस्यता देने की सिफारिश की गई थी. गुरुवार को हुई वोटिंग में मेंबरशिप के पक्ष में 12 देश थे. वैसे तो केवल 9 देशों का ग्रीन सिग्नल काफी है, लेकिन ये तभी काम करता है जब यूएनएस के परमानेंट सदस्यों में से कोई भी इसके खिलाफ न हो. बता दें, कि अमेरिकी नामंजूरी ने फिलिस्तीन को एक बार फिर पक्की सदस्यता से दूर कर दिया है.
UN में कितने सदस्य
संयुक्त राष्ट्र में इस समय 193 देश सदस्य हैं. फिलिस्तीन इसमें शामिल नहीं है. वो साल 2011 में भी पक्की मेंबरशिप के लिए आवेदन दे चुका था, लेकिन तब भी सबकी सहमति नहीं बनी थी. आखिर क्या वजह है कि इस देश के लिए UN के दरवाजे अधखुले ही हैं.
फिलिस्तीन साल 2011 में भी डाल चुका अर्जी
फिलिस्तीन साल 2011 में भी पूरी मेंबरशिप के लिए अर्जी डाल चुका था, लेकिन तब भी सहमति नहीं बन सकी थी. बताया जा रहा है, कि फुल मेंबरशिप के लिए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की 15 सदस्यीय जनरल बॉडी में से 9 की मंजूरी चाहिए. इसके साथ ही पांच परमानेंट सदस्यों की हामी भी चाहिए. अगर इनमें से कोई भी वीटो कर दे तो प्रस्ताव फेल हो जाता है.
कौन-से पांच देश है परमानेंट सदस्य
बता दें, कि इसकी मेंबरशिप दो तरह की होती है- स्थाई और अस्थाई. केवल पांच ही देश इसके परमानेंट सदस्य हैं- अमेरिका, ब्रिटेन, रूस फ्रांस और चीन. इसके अलावा 10 ऐसे देश सदस्य होते हैं, जो हर दो साल में बदल जाते हैं.
यूएन में अमेरिका ने क्या कहा
यूएन में अमेरिका के प्रतिनिधि रॉबर्ट वुड ने कहा कि अमेरिका ये मानता है, कि फिलिस्तीन को अलग देश का दर्जा देने का सबसे सही रास्ता इजरायल और उसके बीच सीधी बातचीत ही है. अमेरिका फिलिस्तीन को अलग देश का दर्जा देने के खिलाफ नहीं, लेकिन हमारा मानना है कि दोनों पक्षों में आपसी बातचीत से ही ये तय हो.
फिलिस्तीन ने की अमेरिका के वीटो की आलोचना
फिलिस्तीन प्राधिकरण के अध्यक्ष, महमूद अब्बास ने एक बयान में अमेरिकी वीटो की आलोचना करते हुए कहा कि यह गलत और अन्यायपूर्ण है, और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की इच्छा की अवहेलना करता है, जो फिलिस्तीन राज्य को संयुक्त राष्ट्र में सदस्यता प्राप्त करने का पुरजोर समर्थन करता है.
हालांकि, इजराइल के विदेश मंत्री इसराइल कैट्ज ने अमेरिका की भरपूर प्रशंसा की और वीटो करने के देश के फैसले की सराहना की, जिसे उन्होंने इसे "शर्मनाक प्रस्ताव" बताया. काट्ज ने एक्स पर लिखा, प्रलय के बाद से यहूदियों के सबसे बड़े नरसंहार और हमास आतंकवादियों के किए गए यौन अपराधों और अन्य अत्याचारों के 6 महीने से ज्यादा समय के बाद फिलिस्तीनी राज्य को मान्यता देने का प्रस्ताव आतंकवाद का पुरस्कार था.
इसराइल के संयुक्त राष्ट्र राजदूत गिलाद एर्दान ने प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करने वाले 12 देशों को संबोधित करते हुए कहा, कि यह बहुत दुखद है क्योंकि आपका वोट केवल फिलिस्तीनी अस्वीकृतिवाद को और भी बढ़ावा देगा और शांति को लगभग असंभव बना देगा. गाजा पट्टी में इजराइल और हमास के बीच युद्ध शुरू होने के छह महीने बाद विश्व निकाय की सदस्यता के लिए फिलिस्तीनी ने बोली लगाई. साथ ही कहा सुरक्षा परिषद और महासभा के दो-तिहाई सदस्यों को संयुक्त राष्ट्र की पूर्ण सदस्यता के लिए उनके आवेदन को मंजूरी देने की आवश्यकता है ताकि फिलिस्तीन पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त कर सके.