लंदन : हंगेरी के लेखक लैज़लो क्रास्जनहोरकई को ब्रिटेन का प्रतिष्ठित मैन बुकर अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार मिला है। इस शीर्ष साहित्यिक पुरस्कार की दौड़ में भारत के अमिताव घोष सहित आठ अन्य भी थे।


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निर्णायक मंडल की प्रमुख अकादमिक और लेखिका मरीना वार्नर ने क्रास्जनहोरकई के काम की तुलना फ्रांज काफ्का से की जो क्रास्जनहोरकई के व्यक्गित साहित्यिक नायक हैं।


विजेता के नाम का ऐलान करते हुए उन्होंने कहा, मुझे ऐसा लगता है कि हमने क्रम में जो सबसे ऊपर था उसका चुनाव किया। दो वर्ष में दिया जाना वाले मैन बुकर इंटरनेशनल पुरस्कार के साथ 60,000 पाउंड दिए जाते हैं। यह अंग्रेजी में लिखी रचना के लिए या किसी रचना का अनुवाद अंग्रेजी में उपलब्ध होने पर लेखक को उसके काम के लिए दिया जाता है। यह किसी भी लेखक को उसके जीवनकाल में केवल एक बार ही मिल सकता है। पहले यह पुरस्कार अरूधति राय, अरविंद अदिगा, अल्बानिया के इस्माइल काद्रे सहित कई अन्य को मिल चुका है।


क्रास्जनहोरकई इस वर्ष उन 10 लेखकों में से एक थे, जिन्हें इस बार पुरस्कार के लिए अंतिम सूची में शामिल किया गया था। इस अंतिम सूची में घोष, लीबिया के इब्राहिम अल कोनी, मोजाम्बिक के मिया कोटो और अमेरिका के फैनी हावे शामिल थे।