India Canada relation: भारत और कनाडा के बीच रिश्ते बेहद नाजुक दौर में चल रहे हैं. खालिस्तान को पनपने के लिए खाद-पानी देने वाले कनाडा के पीएम ट्रूडो अब खुद उसकी चपेट में आते दिख रहे हैं. कनाडा में चुनाव से पहले अपनी गिरती लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए ट्रूडो ये सब पैंतरे आजमा रहे हैं. अब उन्होंने ब्रिटेन के पीएम को फोन कर अपना दुखड़ा रोया है.
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Justin Trudeau: भारत और कनाडा के बीच चल रहे विवाद में अब ब्रिटेन के एंट्री हो गई है. ब्रिटेन के प्रधानमंत्री केअर स्टार्मर ने कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो के साथ फोन पर बातचीत कर अपना दुखड़ा रोया है. इस दौरान दोनों नेताओं में कानून व्यवस्था के महत्व पर जोर देने की बात हुई. ऐसे समय जब भारत और कनाडा के बीच रिश्ते बेहद तल्ख हैं, ये बातचीत बेहद अहम मानी जा रही.
ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के कार्यालय-सह-आवास 10 डाउनिंग स्ट्रीट ने इस बातचीत की जानकारी दी. इस बयान में भारत का सीधा जिक्र तो नहीं है, लेकिन इसमें उन आरोपों का जिक्र है जिन पर कनाडा में जांच चल रही है. ब्रिटेन और कनाडा के प्रधानमंत्रियों की फोन पर यह बातचीत सोमवार शाम को हुई है. केअर स्टार्मर और ट्रूडो के बीच बातचीत में भारत से जुड़े मामले की कनाडा में चल रही जांच का भी जिक्र हुआ है. दोनों नेताओं ने कानून-व्यवस्था के महत्व पर एकराय जाहिर किया साथ ही जांच पूरी होने तक करीबी संपर्क में बने रहने पर सहमत हुए हैं.
इधर कई पूर्व राजनयिकों ने ओटावा में भारतीय राजनयिकों को हरदीप सिंह निज्जर के मारे जाने की घटना की जांच से जोड़ने के कनाडा के आरोप की आलोचना की. पूर्व राजदूतों ने कहा कि कनाडा का मिथ्या प्रचार प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की अगले चुनाव में अपनी संभावनाएं बढ़ाने के लिए अपने देश के भीतर कट्टरपंथी तत्वों से समर्थन हासिल करने की दुःसाहस से उपजा है. ओटावा द्वारा निज्जर के मारे जाने की घटना की जांच से भारतीय उच्चायुक्त को जोड़े जाने के बाद पहले से ही खराब भारत-कनाडा संबंध और नाजुक हो चले हैं.
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भारत ने कनाडा के आरोपों को खारिज करते हुए छह कनाडाई राजनयिकों को निष्कासित कर दिया. साथ ही कनाडा से अपने उच्चायुक्त को वापस भी बुला लिया. भारत ने भारतीय एजेंटों को कनाडा में आपराधिक गिरोहों से जोड़ने के कनाडाई अधिकारियों के प्रयासों को भी खारिज किया. पूर्व राजनयिक और लेखक राजीव डोगरा ने कहा कि कनाडा की ओर से यह कवायद ऐसे वक्त की गई है जब ट्रूडो की लोकप्रियता में काफी गिरावट आई है. उनके सामने चुनाव हारने तक का संकट गहराया है.
उन्होंने कहा कि ट्रूडो अब चरमपंथियों का समर्थन पाने के लिए ये सब कर रहे हैं. क्या इससे 16 अक्टूबर को इस्लामाबाद में होने वाले शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शिखर सम्मेलन में भारत के रुख पर असर पड़ेगा? इस पर डोगरा ने कहा कि ऐसा नहीं होगा. उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से कहा कि चाहे वह एससीओ हो या कोई अन्य मंच, भारत का अपना स्तर और स्थिति है तथा कनाडा की ओर से मूर्खतापूर्ण कृत्यों का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा.
कुछ पूर्व राजनयिकों ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय राय के मामले में यह कदम कनाडा को नुकसान पहुंचाने वाला होगा. पूर्व राजनयिक दिलीप सिन्हा ने कहा कि भारत ने जवाबी कार्रवाई में सबसे महत्वपूर्ण कदम उठाया है. उन्होंने कहा कि कूटनीति पारस्परिकता पर चलती है और यदि कनाडा अनर्गल आरोप लगाने और उस देश में भारतीय राजनयिकों के जीवन को असुरक्षित बनाने का निर्णय लेता है, तो भारत को जवाबी कार्रवाई करनी होगी.
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यूनान में राजदूत रहे सिन्हा ने कहा कि भारत पहले ही कनाडा में काम कर रहे भारतीय उच्चायुक्त और अन्य वरिष्ठ भारतीय राजनयिकों के खिलाफ बेबुनियाद आरोप लगाने के कनाडा सरकार के बेहद गैर-जिम्मेदाराना कृत्य के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने का सबसे महत्वपूर्ण कदम उठा चुका है. सिन्हा ने डोगरा की बात दोहराते हुए कहा कि ट्रूडो चुनाव पूर्व सर्वेक्षणों में पीछे दिख रहे हैं, इसलिए उन्हें लगता है कि वह हारने वाले हैं. ब्रिगेडियर राहुल भोंसले (रिटायर्ड) ने कहा कि कनाडा का आरोप बेतुका है.
गौरतलब है कि पिछले साल सितंबर में निज्जर के मारे जाने की घटना में भारतीय एजेंटों की संभावित संलिप्तता के ट्रूडो के आरोपों के बाद दोनों देशों के बीच संबंध काफी तल्ख हो गए हैं. भारत ने ट्रूडो के आरोपों को बेतुका बताते हुए खारिज किया है. भारत कहता रहा है कि दोनों देशों के बीच मुख्य मुद्दा कनाडा द्वारा अपनी धरती से सक्रिय खालिस्तान समर्थक तत्वों को खुलेआम समर्थन देना है. निज्जर की पिछले साल 18 जून को ब्रिटिश कोलंबिया के सरे में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उसके बाद से ही दोनों देशों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण चल रहे हैं.
(एजेंसी इनपुट के साथ)
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