Climate Change Performance Index: दुनिया में हो रहे जलवायु परिवर्तन और उसके कारण हो रहे असर को मांपने के लिए हर साल क्‍लामेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्‍स जारी किया जाता है. ताकि पता चल सके कि हर देश जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कितना काम कर रहा है. इस साल जारी हुए क्‍लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्‍स में भारत का प्रदर्शन पिछले साल की तुलना में भले ही कम रहा है लेकिन अब भी वह इस मामले में दुनिया के अग्रणी देशों में है और इंडेक्‍स में टॉप 10 पर बना हुआ है.


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टॉप 10 में जी20 वाले केवल 2 देश


ताजा जारी हुए क्‍लाइमेट चेंज परफॉर्मेंस इंडेक्‍स में भारत 10वें नंबर पर है. जबकि पिछले साल भारत 7वें नंबर पर था. हालांकि फिर भी यह राहतपूर्ण है कि भारत टॉप 10 में बना हुआ है और जी20 देशों में केवल भारत और यूके (6वां नंबर) ही ऐसे देश हैं, जो टॉप 10 में हैं. इससे पहले भारत 2014 में 31वें स्थान पर था और 2019 में टॉप 10 में शामिल हो गया था. यानी कि भारत का प्रदर्शन काफी अच्‍छा रहा है.


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टॉप 3 की पोजीशन खाली


चिंताजनक बात यह है कि पिछले साल की तरह इस साल भी इंडेक्‍स में टॉप 3 की जगह खाली रह गईं क्‍योंकि पर्याप्‍त स्‍कोर के अभाव में कोई भी देश टॉप 3 पोजीशन में नहीं आ सके. वहीं डेनमार्क, नीदरलैंड और यूके क्रमश: चौथे, पांचवें और छठे नंबर पर हैं.


अमेरिका 57वें नंबर पर


जर्मनवॉच, न्यूक्लाइमेट इंस्टीट्यूट और कैन इंटरनेशनल द्वारा संयुक्त रूप से जारी सीसीपीआई के 20वें एडिसन के अनुसार, दुनिया का सबसे बड़ा उत्सर्जक देश चीन 55वें स्थान पर है. वहीं दूसरा सबसे बड़ा उत्‍सर्जक देश अमेरिका 57वें स्थान पर बना हुआ है. ये दोनों देश इंडेक्‍स में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले देश रहे.


यूएई और रूस सबसे नीचे


वहीं इंडेक्‍स में अंतिम स्थान पर रहने वाले 4 देश ईरान, सऊदी अरब हैं. पिछले साल संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता के मेजबान संयुक्त अरब अमीरात और रूस - क्रमशः 67, 66, 65 और 64 वें स्थान पर थे.  इंडेक्‍स का आंकलन करने वाली रिपोर्ट में कहा गया है, "ये चारों देश दुनिया भर में तेल और गैस के सबसे बड़े उत्पादक हैं. उनके ऊर्जा मिश्रण में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 3% से कम है. इन देशों में व्यवसाय मॉडल के रूप में जीवाश्म ईंधन से हटने का कोई संकेत नहीं है. "