तोक्यो: जापान 2011 के फुकुशिमा परमाणु आपदा का अनुमान लगा सकता था और इससे बच सकता था. एक अदालत ने मंगलवार (10 अक्टूबर) को यह फैसला देते हुए सरकार और ऊर्जा संयंत्र संचालक टोक्यो इलेक्ट्रिक पावर कंपनी (टेपको) को आदेश दिया कि स्थानीय निवासियों को हुई क्षति की भरपाई की जाए. पूर्वी जापान में हुए हादसे के लिए फुकुशिमा जिला अदालत के फैसले में दूसरी बार सरकार को इसके लिए जिम्मेदार ठहराया गया है. वर्ष 1986 में हुए चेर्नोबिल दुर्घटना के बाद यह विश्व का दूसरा सबसे गंभीर हादसा था.


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अदालत ने सरकार और संचालक को शिकायतकर्ताओं को 50 करोड़ येन (44 लाख डॉलर) का भुगतान करने के निर्देश दिए जो अब तक का सबसे बड़ा जुर्माना है. एएफपी को मिली फैसले की एक प्रति के अनुसार हादसे से जिन स्थानीय निवासियों को जान माल का नुकसान उनमें से प्रत्येक को 360000 येन ( 3198 डॉलर ) तक मिलेंगे .


मार्च में माएबाशाी शहर की एक अदालत ने भी सरकार और टेपको दोनों को हादसे के लिये जिम्मेदार ठहराया था हालांकि तोक्यो के पास चिबा में एक अन्य अदालत ने केवल टेपको जिम्मदार है. हादसे के विकीरण के भय से अन्यत्र भाग गये करीब 12000 लोगों ने सरकार और टेपको के खिलाफ विभिन्न याचिकायें दायर की थीं. 


कोर्ट ने कहा, फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना के लिए जापान सरकार जिम्मेदार नहीं


इससे पहले जापान की एक अदालत ने शुक्रवार (22 सितंबर) को एक फैसले में कहा था कि वर्ष 2011 में हुए फुकुशिमा परमाणु दुर्घटना के लिये संयंत्र का संचालक जिम्मेदार है ना कि सरकार. अदालत ने संयंत्र ऑपरेटर को नुकसान की भरपाई के लिये मुआवजा देने का आदेश दिया. तोक्यो के निकट चिबा में जिला अदालत ने कहा कि सरकार इसका ‘‘पूर्वानुमान’’ लगाने में सक्षम थी, लेकिन वह सुनामी के चलते ‘‘दुर्घटना से बचने में सक्षम नहीं हो सकती है.’’ गौरतलब है कि सुनामी के कारण फुकुशिमा दाइची बिजली संयंत्र बुरी तरह तबाह हो गया था.


छह साल पहले 9.0 तीव्रता के भूकंप के कारण रिएक्टर की कूलिंग सिस्टम में पानी भर गया था जिसके कारण पूर्वी जापान में स्थित संयंत्र के तीन कूलिंग सिस्टम परमाणु हादसे का शिकार हो गये थे. चिबा अदालत के न्यायाधीश मसारु साकामोतो ने मुआवजे की अदायगी के 42 लोगों के दावे को ठुकरा दिया.