Japan Birth Rate: साल 2010  में मोसाहिरो ओकाफुजी ने  Itochu Corp के चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (सीईओ) की कमान संभाली थी. उनकी पहली प्राथमिकता थी प्रोडक्टिविटी को बढ़ाना ताकि जापान की बाकी कंपनियों के साथ वह मुकाबला कर सके. उन्होंने इसके लिए कई कदम उठाए. पहला रात 8 बजे के बाद ऑफिस में काम करना बैन कर दिया गया. दुर्लभ स्थिति होने पर ही ओवरटाइम कराया जाता था. सिक्योरिटी गार्ड्स और एचआर से कहा गया कि वे टोक्यो स्थित Itochu की बिल्डिंग में लोगों से घर जाने को कहें. 


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जो लोग अपनी मेज से चिपके रहते थे उनसे कहा जाता था कि वे अगले दिन जल्दी आकर अपना काम निपटा लें. इसके लिए उनको अलग से भुगतान किया जाता था.यह ट्रिक काम कर गई. एक दशक बाद, वो कंपनी, जिसका कारोबार फैमिलीमार्ट  स्टोर चेन से लेकर मेटल ट्रेडिंग तक था, उसने साल 2010 से 2021 तक प्रति कर्मचारी मुनाफे में पांच गुना से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की. 


पड़ देश की बर्थरेट पर असर


इसके अलावा Itochu के मैनेजमेंट में भी तब्दीली आई. ज्यादा महिला कर्मचारियों ने मैटरनिटी लीव ली. उनके बच्चे हुए और वापस आकर उन्होंने कंपनी जॉइन की. Itochu के एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट फुमिहिको कोबयाशी ने कहा, 'हम तो प्रोडक्टिविटी बढ़ाना चाहते थे लेकिन यह आइडिया नहीं था कि इससे देश की बर्थरेट पर भी असर पड़ेगा.'


टेंशन में है जापान सरकार


जापान सरकार इस वक्त गिरते बर्थरेट के चलते परेशानी का सामना कर रही है. देश में मृत्युदर की तुलना में जन्मदर बहुत कम है. ओकाफूजी के सीईओ बनने के बाद के साल में Itochu  के परमानेंट कर्मचारियों के बीच प्रजनन दर दोगुनी हो गई. 31 मार्च 2022 को खत्म हुए वित्त वर्ष में प्रति महिला कर्मचारी दो बच्चों की मां थी, जो जापान की वर्तमान राष्ट्रीय दर से लगभग 1.3 से कहीं अधिक है.


जन्म दर में बढ़ोतरी ने कंपनी के बोर्ड के मेंबर अत्सुको मुराकी का ध्यान खींचा, जो पहले जापान के स्वास्थ्य, श्रम और कल्याण मंत्रालय में समान रोजगार और बाल कल्याण के निदेशक का कामकाज देख रही थीं. 


उन्होंने कंपनी को आंकड़े सार्वजनिक करने को कहा ताकि यह संदेश जाए कि बच्चों की परवरिश और करियर बनाने के लिए महिलाओं को एक-दूसरे के खर्च पर निर्भर नहीं होना पड़ता है. हालांकि इस पर मिले-जुले रिएक्शन आए.