Nobel Peace Prize Award 2024: जापानी संगठन निहोन हिडांक्यो को साल 2024 का नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है. संगठन को हिरोशिमा और नागासाकी के सभी परमाणु बम से बचे लोगों को सम्मानित करने के लिए यह पुरस्कार दिया गया है. रॉयल स्वीडिश एकेडमी ऑफ साइंसेज की नोबेल समिति ने शुक्रवार को यह घोषणा की. इस साल नोबेल शांति पुरस्कार के लिए कुल 286 उम्मीदवारों को नामित किया गया था.
 
छह दिनों तक चलती हैं नोबेल पुरस्कारों की घोषणाएं 


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सोमवार (7 अक्टूबर, 2024) को छह दिनों तक चलने वाली नोबेल पुरस्कार की घोषणाएं शुरू हुई हैं. नोबेल समिति ने घोषणा में कहा कि हिरोशिमा और नागासाकी के परमाणु बम से बचे लोगों से बने इस जमीनी आंदोलन को हिबाकुशा के नाम से भी जाना जाता है. इसे परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया की स्थापना के लिए अपने समर्पण के लिए सम्मानित किया जा रहा है. 


जापानी संगठन निहोन हिडांक्यो क्या है, क्या करता है?


नोबेल समिति ने लिखा, "परमाणु हथियारों से मुक्त दुनिया को प्राप्त करने के अपने प्रयासों और गवाहों के बयानों के माध्यम से यह प्रदर्शित करने के लिए पुरस्कार दिया जा रहा है कि परमाणु हथियारों का फिर कभी इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए." आइए, जानते हैं कि जापानी संगठन निहोन हिडांक्यो क्या है और यह क्या करता है?


हिबाकुशा मतलब हिरोशिमा और नागासाकी के बचे हुए लोग


साल 1956 में, स्थानीय हिबाकुशा संघों ने प्रशांत क्षेत्र में परमाणु हथियार परीक्षणों के पीड़ितों के साथ मिलकर जापान ए- और एच-बम पीड़ित संगठनों का परिसंघ स्थापित किया. इस नाम को बाद में जापानी में संक्षिप्त करके निहोन हिडांक्यो कर दिया गया. यह जापान में सबसे बड़ा और सबसे प्रभावशाली हिबाकुशा संगठन बन गया.


इस संगठन के सदस्य अपनी व्यक्तिगत कहानियों को साझा कर और अपने अनुभवों के आधार पर शैक्षणिक अभियान विकसित करते हैं. इसके माध्यम से परमाणु हथियारों के प्रसार और उपयोग के बारे में तत्काल चेतावनी जारी करते हैं और परमाणु हथियारों के खिलाफ वैश्विक विरोध को बढ़ावा देने और मजबूत करने में मददगार साबित होते हैं.


80 वर्षों से युद्ध में परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं किया गया


नॉर्वेजियन नोबेल समिति ने कहा कि लगभग 80 वर्षों से युद्ध में किसी भी परमाणु हथियार का इस्तेमाल नहीं किया गया है. निहोन हिडांक्यो को 2024 का नोबेल शांति पुरस्कार देने का निर्णय अल्फ्रेड नोबेल की इच्छा पर आधारित था. उन्होंने कहा कि 2024 का नोबेल शांति पुरस्कार मानवता को सबसे बड़ा लाभ प्रदान करने वाले प्रयासों को मान्यता देने के अल्फ्रेड नोबेल के इरादे को मजबूती से दर्शाता है.


हिरोशिमा पर बमबारी: 6 अगस्त, 1945


द्वितीय विश्व युद्ध के अंतिम चरण के दौरान 6 अगस्त, 1945 के दिन, संयुक्त राज्य अमेरिका ने जापानी शहर हिरोशिमा पर एक परमाणु बम गिराया जिसे "लिटिल बॉय" के नाम से जाना जाता है. बम सुबह 8.15 बजे फटा, जिससे 15,000 टन टीएनटी के बराबर फोर्स निकला. इससे भयानक विनाश हुआ, इमारतें जमींदोज हो गईं और पूरे शहर में बड़े पैमाने पर भीषण आग लग गई थी.


नागासाकी पर बमबारी: 9 अगस्त, 1945


हिरोशिमा के ठीक तीन दिन बाद अमेरिका ने लगभग 11.02 बजे नागासाकी शहर पर दूसरा परमाणु बम "फैट मैन" गिराया. इस हमले से काफी विनाश हुआ और कई लोगों की जान चली गई. साथ ही इसके विकिरण जोखिम के दीर्घकालिक प्रभावों ने भी इसे और बढ़ा दिया. आज तक इसका असर साफ देखा जा रहा है.


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नोबेल शांति पुरस्कार के बारे में कुछ और बेहद अहम बातें


साल 2023 का नोबेल शांति पुरस्कार नरगिस मोहम्मदी को "ईरान में महिलाओं के उत्पीड़न के खिलाफ उनकी लड़ाई और सभी के लिए मानवाधिकारों और स्वतंत्रता को बढ़ावा देने की उनकी लड़ाई के लिए" दिया गया.


17 साल की उम्र में मलाला यूसुफजई सबसे कम उम्र की नोबेल शांति पुरस्कार विजेता बन गईं. वहीं, 86 साल की उम्र में जोसेफ रोटब्लाट 1995 में सबसे उम्रदराज नोबेल शांति पुरस्कार विजेता बने थे.


1901 से 2023 के बीच 141 विजेताओं को 104 बार नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है. इनमें 111 व्यक्ति और 30 संगठन शामिल हैं.


रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति को तीन बार (1917, 1944 और 1963 में) नोबेल शांति पुरस्कार मिला है, जबकि शरणार्थियों के लिए संयुक्त राष्ट्र उच्चायुक्त के कार्यालय को दो बार (1954 और 1981 में) सम्मानित किया गया है.


इससे नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित होने वाले अद्वितीय संगठनों की कुल संख्या 30 हो गई है. 


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