India Russia Relations: आजादी मिलने के बाद से ही रूस भारत का पारंपरिक सहयोगी रहा है. दुनिया चाहे इधर से उधर से हो जाए, वैश्विक संकट हो या कैसी भी समस्या, भारत-रूस के रिश्ते (India Russia Relationship) मजबूत हुए हैं. यहां बात गिव एंड टेक की नहीं उस विश्वास की है जो अद्भुत है. मोदी और पुतिन की केमिस्ट्री ने रिश्तों को रिकॉर्ड उंचाई तक पहुंचा दिया है. दोनों की जुगलबंदी की हालिया मिसाल तब मिली जब पुतिन ने न सिर्फ अपनी दोस्ती का खुला इजहार किया, बल्कि अपने दोस्त मोदी की 'गारंटी' का जिक्र छेड़ कर सबको हैरान कर दिया.


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मोदी को डराया नहीं जा सकता: पुतिन


पुतिन ने सेंट पीटर्सबर्ग में 'रूस कॉलिंग इन्वेस्टमेंट फोरम' (Russia Calling Investment Forum) में अपने संबोधन में कहा, 'मैं बस ये कहना चाहता हूं कि रूस और भारत के बीच सभी क्षेत्रों में संबंध लगातार विकसित हो रहे हैं. और इसका मुख्य गारंटर पीएम मोदी (PM Modi) के नेतृत्व वाली नीति है. मैं जानता हूं कि पीएम मोदी को भारतीय हितों के विपरीत कदम उठाने के लिए डराया या मजबूर नहीं किया जा सकता है.'


'ये मोदी की इंटरनेशनल गारंटी'


पुतिन ने अपनी बात दोहराते हुए कहा, 'मोदी की पॉलिसी से भारत-रूस संबंध मजबूत हुए है'. उन्होंने ये भी कहा कि मोदी मतलब मजबूत रिश्तों की गारंटी. आपको बताते चलें कि रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine war) के बीच मॉस्को और नई दिल्ली के बीच द्विपक्षीय सौहार्द का एक और प्रदर्शन करते हुए, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की जमकर तारीफ की है. पुतिन, जिन्होंने फरवरी 2022 में यूक्रेन पर हमले के ऐलान से पहले भारत का दौरा किया था, तब भी उन्होंने कहा कि रूस और भारत के बीच संबंध सभी क्षेत्रों में लगातार विकसित हो रहे हैं.


जब अमेरिका के आगे नहीं दबा भारत: पुतिन


Russia Calling फोरम में अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए पुतिन ने कहा, यूक्रेन युद्ध शुरू होते ही यूरोप और अमेरिका ने मास्को को कमजोर करने की कोशिश की, उस दौर में भी पीएम मोदी ने स्टैंड लिया. पुतिन ने रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia Ukraine War) के बावजूद भारत द्वारा रूस से कच्चा तेल खरीदने (India Russia oil deal) का हवाला देते हुए कहा, 'मैं कल्पना नहीं कर सकता कि पीएम मोदी (PM Modi) को डराया जाएगा या उन्हें कोई ऐसा एक्शन लेने को मजबूर किया जाएगा जो भारत और वहां के लोगों के राष्ट्रीय हितों के खिलाफ होगा.'


यूक्रेन युद्ध के बीच भारत-रूस संबंध


यूक्रेन युद्ध के करीब 18 महीने बीतने के बाद यानी अगस्त 2023 तक रूस का भारत को कच्चे तेल का निर्यात 60 मिलियन बैरल प्रति माह से ऊपर हो चुका है. रूस के क्रूड ऑयल और रिफाइंड ऑयल एक्सपोर्ट में भारत की हिस्सेदारी लगभग एक चौथाई है. दिसंबर 2022 से जून 2023 के अंत तक रूसी कस्टम रिकॉर्ड ने यूरोपीय संघ की 60 डॉलर प्रति बैरल मूल्य सीमा के मुकाबले भारत में भेजे जाने वाले कच्चे तेल की औसत कीमत लगभग 50 डॉलर प्रति बैरल बताई है. 


गौरतलब है कि पश्चिमी देशों द्वारा 'यूक्रेन में युद्ध की अप्रत्यक्ष फंडिग' जैसे आरोप लगाए जाने पर नई दिल्ली ने रूसी तेल की अपनी खरीद का दृढ़ता से बचाव किया है. यूरोप ने यूक्रेन युद्ध के बाद रूस से ऑयल और गैस खरीदने में दूरी बनाई. जबकि भारत ने बदलती जियोपॉलिटिकल परिस्थितियों में अपने देश की जरूरतों का ध्यान रखते हुए रूस से जमकर तेल खरीदा और अमेरिका ने भी इस विषय पर कुछ खास हाय तौबा नहीं मचाई है. जबकि दूसरे देशों द्वारा ऐसा करने पर वो अपने CAATSA कानून के तहत उनपर कई तरह के प्रतिबंध लगा देता है. इससे इतर बीते दो सालों में भारत और अमेरिका के रिश्ते बराबरी वाले रहे हैं.


क्या है काटसा कानून?


CAATSA एक्ट का मतलब है कि काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सिरीज थ्रू सेंक्शन एक्ट. ये कानून अमेरिकी सरकार को खासतौर पर उन देशों पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार देता है जो रूस से सुरक्षा उपकरण खरीदते हैं या इसके लिए डील करते हैं. अगर कोई देश ऐसा करता है तो उस पर अमेरिकी सरकार की ओर से कार्रवाई की जा सकती है. जबकि भारत ने ऐसी बातों से बिना डरे, रूस से बंपर तेल खरीदा वहीं रूसी एयर डिफेंस सिस्टम S-400 मंगाने में भी गुरेज नहीं किया.