म्यांमार में सत्ता पर काबिज जुंटा के विरोधियों ने राजनीतिक विद्रोह कर दिया और कहा कि उन्होंने आंग सान सू ची के सत्ता से बाहर किए गए मंत्रिमंडल और बड़े नस्ली अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों के साथ एक अंतरिम राष्ट्रीय एकता सरकार बनाई है.
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यंगून: म्यांमार में सत्ता पर काबिज जुंटा के विरोधियों ने राजनीतिक विद्रोह कर दिया और कहा कि उन्होंने आंग सान सू ची के सत्ता से बाहर किए गए मंत्रिमंडल और बड़े नस्ली अल्पसंख्यक समूहों के सदस्यों के साथ एक अंतरिम राष्ट्रीय एकता सरकार बनाई है. यह घोषणा आसियान द्वारा म्यांमार के संकट को सुलझाने की कूटनीतिक पहल की पूर्व संध्या पर की गई है.
दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्रों का संगठन (आसियान) अगले हफ्ते शिखर सम्मेलन कर सकता है. जुंटा द्वारा हिंसक कार्रवाई तख्तापलट के खिलाफ विरोध को रोकने में असफल रही है और अब जब सेना सीमाई इलाकों में अल्पसंख्यक नस्ली समुदायों तक इस जंग को लेकर चली गई है तो कुछ आसियान सदस्यों का मानना है कि यह संकट क्षेत्रीय स्थिरता को परेशानी में डाल रही है.
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तख्तापलट के विरोधी अपने विरोध को मजबूत करने के लिए नस्ली अल्पसंख्यक समुदायों के साथ गठबंधन करना चाह रहे थे. दशकों तक अल्पसंख्यकों को सीमाई क्षेत्रों में अधिक स्वायत्तता के लिए संघर्षों में कभी शामिल किया जाता था कभी नहीं. यह स्पष्ट नहीं है कि अल्पसंख्यक राजनीतिक संगठन औपचारिक तौर पर गठबंधन में शामिल हुए हैं या नहीं लेकिन उनकी रैंक की प्रमुख हस्तियों की नियुक्ति सेना के खिलाफ संयुक्त संघर्ष के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाती है जो निश्चित तौर पर तख्तापलट के खिलाफ जारी अभियान को बल देगी.
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राष्ट्रीय एकता सरकार इससे पहले तख्तापलट के ठीक बाद बनाई गई कमिटी रिप्रेजेंटिंग पिदॉन्गशु ह्लुतॉव से थोड़ी ऊपर है जिसे निर्वाचित सांसदों ने बनाया था जिनको सेना ने उनका पद नहीं संभालने दिया था. सीआरपीएच ने म्यांमार के एकमात्र वैध सरकारी निकाय के तौर पर अंतरराष्ट्रीय मान्यता मांगी थी लेकिन उन्हें सिर्फ सैन्य शासन का विरोध कर रहे लोगों का ही समर्थन मिला. जुंटा ने सीआरपीएच को अवैध संगठन करार दे दिया था और उसके प्रमुख सदस्यों के खिलाफ गिरफ्तारी के वारंट जारी कर दिए थे.