Chinese Ambassador to India: 15 महीने के बाद भारत में चीनी राजदूत की हो सकती है नियुक्ति, कौन है बीजिंग की पसंद?
India-China Tension: 2020 के गलवान संघर्ष के बाद से दोनों देशों के संबंध बेहद तनाव पूर्ण हो गए. इसी बच भारत में चीन के पिछले राजदूत सन वेइदॉन्ग अक्टूबर 2022 में चले जाने के बाद से यह पद खाली है.
India-China Relations: भारत में 15 महीने से चीन ने राजदूत नियुक्त नहीं किया है लेकिन अब इस पद के जल्द भरने की उम्मीद है. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक सीनियर डिप्लोमेट जू फीहोंग, भारत में चीनी मिशन का नेतृत्व करने के लिए बीजिंग की पसंद हैं.
जू अफगानिस्तान में राजदूत के रूप में काम कर चुके हैं. वह रोमानिया में भी चीन के राजदूत रह चुके हैं और वर्तमान में विदेश मामलों के सहायक मंत्री के पद पर तैनात हैं.
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक नए दूत की नियुक्ति की औपचारिकताएं अभी भी पूरी नहीं हुई हैं और यह स्पष्ट नहीं है कि वह वास्तव में कब पदभार ग्रहण करेंगे.
तनवापूर्ण दौर में भारत-चीन संबंध
बता दें 2020 के गलवान संघर्ष के बाद से दोनों देशों के संबंध बेहद तनाव पूर्ण हो गए. इसी बच भारत में चीन के पिछले राजदूत सन वेइदॉन्ग अक्टूबर 2022 में चले जाने के बाद से यह पद खाली है.
फिलहालत दोनों देशों द्वारा भारी तैनाती के कारण सीमा पर स्थिति अभी भी असामान्य बनी हुई है, लेकिन हाल के महीनों में किसी हिंसक टकराव की सूचना नहीं मिली है.
भारत को राजदूत का स्वागत करने में खुशी होगी, लेकिन इससे संबंधों की वर्तमान स्थिति में कोई महत्वपूर्ण या तत्काल अंतर आने की संभावना नहीं है, खासकर जब भारत में चुनाव होने वाले हैं.
द्विपक्षीय संबंधों पर क्या है दोनों देशों का नजरिया?
भारत सरकार ने यह कहना जारी रखा है कि जब तक चीन पूर्वी लद्दाख में स्थिति का पूरी तरह समाधान नहीं कर लेता, तब तक संबंध सामान्य नहीं हो सकते. दूसरी तरफ चीन ने भारत-चीन सीमा तनाव को ऐतिहासिक मुद्दा बताकर खारिज किया और इसे द्विपक्षीय संबंधों से जोड़ने की आलोचना की.
बीजिंग का कहना है कि सीमा मुद्दे को द्विपक्षीय संबंधों से नहीं जोड़ा जाना चाहिए. वह इस तथ्य की ओर इशारा करता है कि दोनों पक्षों ने पूर्वी लद्दाख में 4 स्थानों पर डिसइंगेजमेंट हासिल कर लिया है. हालांकि, देपसांग और डेमचोक जैसे अन्य स्थान भी हैं जहां गतिरोध अभी तक बना हुआ है.
दोनों पक्षों ने गतिरोध को हल करने के लिए कोर कमांडर-स्तरीय बैठक के 20 दौर आयोजित किए हैं, जिसमें अब शेष मुद्दों के समाधान और अंतरिम में जमीन पर शांति बनाए रखने पर ध्यान केंद्रित किया गया है.