पाकिस्‍तानी सेना को बड़ी निराशा हाथ लगी है. जेल में बंद कैदी नंबर 804 यानी इमरान खान को सैन्‍य जेल में रखने का उनका मंसूबा पूरा नहीं हो पाया. दरअसल एक साल से जेल में बंद इमरान खान को लाहौर हाई कोर्ट से गुरुवार को उस वक्‍त बड़ी राहत मिली जब पिछले साल नौ मई को हुई हिंसा से जुड़े 12 मामलों में पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान का रिमांड गुरुवार को रद्द कर दिया. इमरान खान पर करीब 200 मामले हैं और उनमें से ज्‍यादातर में उनको जमानत मिल चुकी है. ऐसे वक्‍त में जब वह रिहाई की कगार पर थे तो उन पर नए केस लादने का प्रयास किया गया. 


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पंजाब पुलिस ने पिछले सप्ताह खान को लाहौर में एक वरिष्ठ सैन्य अधिकारी पर हमले सहित आतंकवाद के 12 मामलों में गिरफ्तार किया था. यह गिरफ्तारी इद्दत मामले में खान और उनकी पत्नी बुशरा बीबी को बरी किए जाने के तुरंत बाद की गई थी. खान ने 18 जुलाई को लाहौर हाई कोर्ट में याचिका दायर कर पिछले वर्ष लाहौर कोर कमांडर के आवास सहित सैन्य प्रतिष्ठानों और अन्य संस्थानों पर हुए हमलों के 12 आपराधिक मामलों में अपने रिमांड को चुनौती दी थी.


अभियोजन पक्ष और खान के वकील की दलीलें सुनने के बाद, लाहौर हाई कोर्ट ने रिमांड देने के आतंकवाद रोधी अदालत के फैसले को खारिज कर दिया और कहा कि वह इन मामलों में न्यायिक हिरासत में रहेंगे. खान के खिलाफ 200 से ज्यादा मामले दर्ज हैं जिनमें से ज़्यादातर में वह जमानत पर हैं. वह पिछले साल अगस्त से जेल में हैं. खान की पार्टी का कहना ​​है कि शक्तिशाली सैन्य प्रतिष्ठान के इशारे पर उन्हें और अधिक मामलों में गिरफ्तार किया जा रहा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वह जेल से बाहर न आ सकें.


पाकिस्‍तान सेना की मुसीबत
दरअसल इमरान खान पाकिस्‍तानी सेना के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द बन गए हैं. उनको लगभग हर मामले में जमानत मिलती जा रही है लिहाजा आर्मी के पास फिलहाल उनको लंबे समय तक जेल में रखने की कोई वजह नहीं है. इमरान जेल में रहकर भी पाकिस्‍तानी सियासत की सबसे बड़ी धुरी बने हुए हैं. उनकी गैरमौजूदगी के बाद शहबाज शरीफ के नेतृत्‍व वाली पीएमएलएन-नवाज और पीपीपी सरकार चुनाव में बड़ी जीत दर्ज नहीं कर पाए. यहां तक नवाज शरीफ-बिलावल भुट्टो की पार्टी पर चुनावों में धांधली से जीत के आरोप लगे. सरकार को कोई इकबाल पाकिस्‍तान में नहीं दिखता. लिहाजा सरकार की कोई खास लोकप्रियता नहीं है और इस कारण वह काम भी नहीं कर पा रही है. हताशा में सरकार ने इमरान खान की पार्टी पीटीआई को बैन करने की मंशा दिखाई लेकिन उसका इतना बुरा असर हुआ कि कदम वापस खींचने पड़े. लगभग एक साल से लगातार चल रहे राजनीतिक गतिरोध को देखते हुए आर्मी और सरकार कहीं न कहीं इस नतीजे पर पहुंची हैं कि राजनीतिक स्थिरता के लिए इमरान की रिहाई ही अब एकमात्र विकल्‍प बचा है.


इमरान के पक्ष में 9 में से 5 आर्मी कमांडर
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक पाकिस्‍तानी आर्मी चीफ जनरल असीम मुनीर के 9 में से 5 आर्मी कमांडरों ने ये सुझाव दिया है कि देश-दुनिया में इमेज सुधारने और निवेशकों को सकारात्‍मक संदेश देने के लिहाज से इमरान की रिहाई जरूरी है. लेकिन जनरल मुनीर इस बात को जानते हैं कि इमरान खान का बाहर आने का मतलब है कि उनको किसी भी तरह से काबू में नहीं कर पाना. वो ये भी जानते हैं कि इमरान उन पर निशाना साधेंगे. इन सब दुश्‍वारियों के बीच सूत्रों के मुताबिक एक अमेरिकी प्रतिनिधिमंडल अगले हफ्ते पाकिस्‍तान पहुंच रहा है. पाकिस्‍तान में ये आम धारणा बन रही है कि देश के भीतर से इमरान की रिहाई का रास्‍ता निकलने के आसार नहीं है और अमेरिका ही कोई रिहाई संबंधी समझौता करा सकता है. इसलिए ही कहा जा रहा है कि अमेरिकी डेलीगेशन सरकार और सेना के बीच इस बारे में कोई सीक्रेट डील कर सकता है.