59 वर्षीय सुसान रॉबिन्सन वेस्ट यॉर्कशायर के वेकफील्ड में एक फैक्ट्री स्पीडीबेक में काम करता था. ये कंपनी बड़ी सुपरमार्केट चेन के लिए मफिन, कपकेक और अन्य बेक किए गए सामान बनाती है. क्रिसमस के लिए सैकड़ों-हजारों फ्रोजन कीमा पाई का उत्पादन किया गया. Mirror ने SWNS समाचार एजेंसी के हवाले से छापा है कि इसी ऑर्डर के दौरान छह महीने के अंदर रॉबिन्सन को दिन में 17 बार हाथ धोने के लिए कहा गया. परिणामस्वरूप उसके हाथ लाल हो गए और खुजली होने लगी.
पोंटेफ्रैक्ट अस्पताल में जब टेस्ट कराया गया तो पता चला कि स्किन के रासायनिक संपर्क में आने के कारण एक प्रकार का एक्जिमा हो गया. उसने कंपनी को हाथों की सुरक्षा के लिए कई सुझाव दिए लेकिन, जिनमें बैरियर क्रीम और पतले दस्ताने शामिल थे लेकिन बेक्ड फूड के खराब होने के डर से कंपनी ने एक न सुनी.
कंपनी ने जब रॉबिन्सन की सभी बात अनसुनी कर दीं तो हताशा में, उसने अपने संघ, बेकर्स फूड एंड एलाइड वर्कर्स यूनियन (BFAWU), साथ ही थॉम्पसन सॉलिसिटर का रुख किया. दोनों संगठनों ने उसे मुआवजे में 50,000 यूरो यानी 43,81,495 रुपये जीतने में मदद की.
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पिछले साल फरवरी में वेकफील्ड में स्पीडीबेक फैक्ट्री को आग के कारण बंद कर दिया. ज्यादातर कर्मचारियों को स्पीडीबेक के ब्रैडफोर्ड कारखाने में स्थानांतरित कर दिया गया था, लेकिन रॉबिन्सन को काम नहीं दिया गया. जबकि उसे उम्मीद थी कि उसे ब्रैडफोर्ड ब्रांच में एक पोस्ट मिलेगी. चूंकि उसने कंपनी पर दावा कर रखा था इसलिए उसे काम नहीं दिया गया.
स्पीडीबेक की तरफ से कहा गया, 'खाद्य उत्पादकों के रूप में हमारे पास सख्त स्वच्छता मानक हैं जिन्हें हमें बनाए रखना है. इसी में हाथ धुलने वाले नियम भी शामिल हैं. हालांकि सुसान रॉबिन्सन का मामला अपवाद है. फरवरी 2020 में वेकफील्ड को आग ने तबाह कर दिया. इसके बाद हम कर्मचारियों की बेहद सीमित संख्या में ही काम कर रहे हैं.
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