इस स्टडी में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और वेस्टइंडीज के भी विशेषज्ञ शामिल हुए. इस स्टडी को लेकर भारत में भी गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है.
लंदन: क्या आप नाइट शिफ्ट में काम करते हैं? अगर हां, तो ये खबर आपके लिए है. एक ताजी रिसर्च के मुताबिक नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों पर कोरोना का खतरा कहीं ज्यादा है, वो भी पूरे तीन गुना ज्यादा. ये रिसर्च मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने की है.
मैनचेस्टर यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों ने कहा कि कोरोना वायरस की चपेट में आने के बाद नाइट शिफ्ट में काम करने वाले लोगों पर खतरा ज्यादा है. क्योंकि उनकी जीवनशैली असंतुलित होती है. इसी वजह से उनका इम्यूनिटी सिस्टम भी कमजोर हो जाता है. यही वजह है कि वो लोग ज्यादा खतरे में हैं.
इंग्लैंड में करीब 8 मिलियन लोग शिफ्ट में काम करते हैं. जिनकी टाइमिंग अलग अलग होती है. ऐसे में इन लोगों पर ज्यादा खतरा है. वहीं, अमेरिका जैसे देश में भी करीब 20 फीसदी लोग शिफ्ट में काम करने की वजह से खतरे में हैं.
स्टडी के दौरान ये बात सामने आई कि जो लोग जनरल शिफ्ट यानी 9 से 5 की शिफ्ट में काम करते हैं, वो न सिर्फ ज्यादा खुश हैं. बल्कि शारीरिक और मानसिक तौर पर मजबूत भी होते हैं. ऐसे में कोरोना संक्रमण की चपेट में आने के बावजूद वो तुलनात्मक तौर पर ज्यादा सुरक्षित हैं.
डेलीमेल की खबर के मुताबिक ये स्टडी रिपोर्ट थोरैक्स पेपर में प्रकाशित हुई है. इस स्टडी में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और वेस्टइंडीज के भी विशेषज्ञ शामिल हुए. इस स्टडी को लेकर भारत में भी गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि अधिकतर सर्विस सेक्टर खासकर आईटी सेक्टर में नाइट शिफ्ट का चलन काफी बढ़ा है.
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