रास्पुतिन का जन्म 1869 में एक सुदूर साइबेरियाई गांव में हुआ था. उसके माता-पिता किसान थे और अनपढ़ थे.
रास्पुतिन ने प्रस्कोव्या डबरोविना नाम की एक किसान लड़की से शादी की थी. इस जोड़े के 7 बच्चे हुए.
1897 में रास्पुतिन वेरखोटुरी में सेंट निकोलस मठ की तीर्थ यात्रा पर गया. कुछ ही महीनों में वह पूरी तरह से बदल गया और फिर अपने गांव लौट आया. इसके कुछ साल बाद ही उसने खुद को स्वयंभू संत घोषित कर दिया. इतना ही नहीं वह दावा करने लगा कि उसके पास बीमारों को ठीक करने की शक्तियां हैं. इसी दौरान रोमन साम्राज्य के आखिरी शासक का इकलौटा बेटा एक जानलेवा बीमारी का शिकार हुआ. तब रास्पुतिन का उनसे परिचय हुआ और फिर वह उनका करीबी बन गया. वह सेंट पीटर्सबर्ग में एक प्रभावशाली व्यक्ति बन गया.
जीवनी लेखक फ्रांसेस वेल्च के अनुसार, रास्पुतिन ने एक बार रूसी शासक से कहा था कि वह 'छोटा मसीहा' है. कमजोर इच्छाशक्ति वाला राजा उनकी बातों में आ गया और फिर इस शाही दंपत्ति की लोकप्रियता कम होने लगी.
इन सब हालातों को देख रास्पुतिन की 29 दिसंबर, 1916 को प्रिंस फेलिक्स युसुपोव ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. कहा जाता है कि राजतंत्रवादियों ने यह कदम शाही परिवार पर रास्पुतिन के असर को खत्म करने के लिए उठाया था.
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