Jollad Shahjahan Story: बांग्लादेश के सबसे खतरनाक जल्लाद, शाहजहां भुइयां की मौत हो गई है. 74 साल की उम्र में शाहजहां ने ढाका में आखिरी सांस ली. शाहजहां ने 31 साल जेल में काटे. उसे 42 साल जेल की सजा हुई थी. छात्र जीवन में क्रांति का नारा बुलंद करने वाला शाहजहां जल्द ही जरायम की दुनिया में दाखिल हो गया. डकैती और हत्या जैसे तमाम अपराध किए.


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गिरफ्तारी के बाद सजा हुई तो उसने जेल में जल्लाद बनने की इच्छा जाहिर की. शाहजहां ने जेल में रहते हुए कम से कम 26 लोगों को फांसी पर लटकाया. कुछ रिपोर्ट्स तो दावा करती हैं कि उसने करीब 60 लोगों को सूली पर चढ़ाया. बांग्लादेश में शाहजहां को 'जल्लाद शाहजहां' कहा जाने लगा था.


आंदोलन, राजनीति से अपराध की दुनिया का सफर


शाहजहां भुइयां का जन्म 26 मार्च, 1950 को हुआ था. उसका एक भाई और तीन बहनें थीं जिनमें से दो की मौत हो चुकी है. छात्र रहते हुए क्रांति का झंडा उठाने वाला शाहजहां कुछ समय बाद राजनीति में उतर गया. राजनीति से अपराध की दुनिया का सफर तय करने में उसे ज्यादा वक्त नहीं लगा. शाहजहां ने डकैती और हत्या जैसे संगीन अपराध किए.


ढाका ट्रिब्यून के अनुसार, शाहजहां को पहली बार 17 दिसंबर, 1991 को गिरफ्तार किया गया था. पहले उसे मानिकगंज जिला जेल में रखा गया. यहीं पर रहते हुए ट्रायल चला और उसे दो मामलों में 42 साल जेल की सजा सुनाई गई.


जिला जेल में शाहजहां कैदी नंबर 2589/A था. सजा कम करवाने के मकसद से उसने जेल अधिकारियों से कहा क‍ि वह जल्लाद बनना चाहता है. एक असिस्टेंट के रूप में, उसने गफरगांव से नूरुल इस्लाम को फांसी देकर एक जल्लाद के रूप में जिंदगी शुरू की. आखिरकार, शाहजहां को मानिकगंज जिला जेल से ढाका सेंट्रल जेल में ट्रांसफर कर दिया. शाहजहां यहां पर मुख्य जल्लाद बन गया.


सीरियल किलर्स से लेकर नेताओं तक को दी फांसी


शाहजहां ने तमाम सीरियल किलर्स और राजनेताओं को फांसी दी थी. फिर अपने अनुभवों पर एक किताब भी लिखी थी. उसके हाथों मारे गए लोगों में वे सैन्य अधिकारी भी शामिल थे, जिन्हें बांग्लादेश के संस्थापक नेता शेख मुजीबुर रहमान (वर्तमान प्रधानमंत्री शेख हसीना के पिता) की हत्या का दोषी पाया गया था. शाहजहां ने राजनेताओं- अली अहसान मुजाहिद और सलाहुद्दीन कादर चौधरी को भी फांसी पर लटकाया. दोनों पर जिन पर युद्ध अपराध का आरोप था. उसने सीरियल किलर इरशाद शिकदर को भी सूली पर चढ़ाया.


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जेल से बाहर आकर रचाई शादी


शाहजहां पर जल्लाद की भूमिका फिट बैठती थी. बांग्लादेशी मीडिया की रिपोर्ट्स बताती हैं कि उसमें रहम नाम की चीज नहीं थी. हालांकि, जल्लाद के रूप में उसके काम और अच्छे व्यवहार के चलते शाहजहां को 10 साल, 5 महीने और 28 दिन की छूट मिली. उस पर उन दो मामलों में कुल 10,000 टका का जुर्माना लगाया गया था, जो जेल अधिकारियों ने उसकी रिहाई के समय चुकाया.


करीब 31 साल जेल में काटने के बाद 18 जून, 2023 को शाहजहां को रिहा कर दिया गया. पूरी जवानी तो जेल के भीतर गुजर गई थी. बाहर आकर उसने एक नौजवान लड़की से निकाह किया, लेकिन वह शादी निभ न पाई. इस शादी की वजह से शाहजहां को कुछ कानूनी परेशानियों का भी सामना करना पड़ा.


ढाका ट्रिब्यून की रिपोर्ट के अनुसार, शाहजहां का शहर के एक अस्पताल में इलाज चल रहा था. सोमवार सुबह 5.30 बजे उसने दम तोड़ दिया. उसके परिवार वालों को लाश सौंप दी गई है. रिपोर्ट्स के मुताबिक, उसे नरसिंगडी के पलाश उपजिला के इचाखली गांव में सुपुर्द-ए-खाक किया जाएगा.