कोलंबो: श्रीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंघे ने कहा कि सरकार को पता था कि इस्लामिक स्टेट में शामिल होने वाले श्रीलंकाई नागरिक स्वदेश लौट आए हैं, लेकिन उन्हें गिरफ्तार नहीं किया जा सकता था क्योंकि विदेशी आतंकवादी संगठन में शामिल होना कानून के खिलाफ नहीं है.


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इस्लामिक स्टेट समूह ने ईस्टर आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ली है. ईस्टर के दिन तीन कैथोलिक चर्चों और तीन लग्जरी होटलों पर हुये आतंकवादी हमलों में 253 लोगों की जान चली गईं. हालांकि सरकार ने बम विस्फोटों के लिए एक स्थानीय इस्लामी चरमपंथी समूह नेशनल तौहीद जमात (एनटीजे) को दोषी ठहराया है.


विक्रमसिंघे ने स्काई न्यूज को बताया, ‘‘हम जानते थे कि वे सीरिया गए थे... लेकिन हमारे देश में, विदेश जाने और लौटने या विदेशी सशस्त्र विद्रोह में भाग लेना कोई अपराध नहीं है.’’ उन्होंने कहा था, ‘‘हमारे पास कोई ऐसा कानून नहीं है जो हमें विदेशी आतंकवादी समूहों में शामिल होने वाले लोगों को हिरासत में लेने में सक्षम बनाता है. हम उन लोगों को हिरासत में ले सकते हैं, जो श्रीलंका में सक्रिय आतंकवादी समूहों से संबंधित हैं.’’ 


इस्लामी चरमपंथी समूहों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करने के लिए चौतरफा आलोचना झेल रहे, प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे ने कहा कि ईस्टर बम विस्फोटों के लिए जिम्मेदार कुछ संदिग्ध हमलावरों पर देश की खुफिया सेवाएं नजर रख रही थीं. उन्होंने कहा कि लेकिन अधिकारियों के पास हमले से पहले संदिग्ध हमलावरों को हिरासत में लेने के लिए ‘‘पर्याप्त’’ सबूत नहीं थे.



गौरतलब है कि शीर्ष अधिकारियों ने स्वीकार किया है कि श्रीलंका को हमलों से पहले संभावित आतंकवादी हमलों के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी, लेकिन राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना और प्रधानमंत्री विक्रमसिंघे दोनों ने कहा है कि उन्हें इसके बारे में जानकारी नहीं मिली थी.